
फिल्म देश के मौजूदा हालात पर बनाई गई है. आतंकवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया गया है. यहाँ तक तो ठीक था लेकिन रामगोपाल वर्मा इससे भी आगे निकल गए... आपने भी टीवी स्क्रीन पर उनकी नई फिल्म रण के उस गीत को जरुर देखा सुना होगा जो हमारे राष्ट्रगान पर आधारित है. बल्कि यूँ कहें की राष्ट्रगान को तोड़-मरोड़ कर बनाया गया है. भले ही हमारे देश के हालात बद से बदतर होते जा रहे है.. लेकिन हालात पर कटाक्ष करने का ये तरीका शायद ही किसी को पसंद आये. 'रण' के इस प्रोमो को कुछ दिनों पहले ही सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ) को मंजूरी के लिए सौंपा गया था। लेकिन हद तो देखिये की सेंसर बोर्ड से पास होने के पहले ही रामू ने इसे मीडिया तक पहुंचा दिया. रामगोपाल वर्मा को शायद ये मालूम था की इस वजह से सेंसर बोर्ड फिल्म के प्रसारण पर रोक लगा सकता है इसलिए रोक से पहले ही उन्होंने इसे प्रसारित करवा दिया. रामू ने इसके जरिये विवाद तो खड़ा किया ही साथ में अपनी फिल्म का न्यूज़ चैनल्स और अखबारों में मुफ्त प्रमोशन भी करवा लिया. हंगामा बढ़ने के बावजूद रामू ने सफाई दी थी की उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान नहीं किया. बल्कि यह गाना सिर्फ भारत की हालिया बदतर स्थिति के प्रति गुस्से को जाहिर करने का जरिया है. रामू तो रामू महानायक अमिताभ को भी इसमें कुछ गलत नहीं लगता. इससे पहले भी अमिताभ ने देशप्रेम को लेकर बनी कई फिल्मों में काम किया है. देशप्रेमी जैसी बेहतरीन फिल्म में एकता और भाईचारे का सन्देश देने वाले अमिताभ का राष्ट्रगान के प्रति ये रवैया काफी निराशाजनक है. शुक्र है की सेंसर बोर्ड को इसमें कुछ नहीं.. बहुत कुछ गलत लगा. उसने इस गाने को राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम १९७१ के खिलाफ मानते हुए इस पर रोक लगा दी है. देश के हालात को सामने रखने वाली कई फिल्मे बनी लेकिन उनमे अपने ही देश की प्रतिष्ठा और राष्ट्रीय सम्मान से खिलवाड़ नहीं किया गया..लेकिन रामू को कुछ नया करना था..कुछ अलग. रामू की ये कोशिश मुझे तो बेहद नागवार लगी.. और आपको ?
3 comments:
bhuwan bahut khoob likha hai...
वैसे सुना तो मैंने भी है.. मुझे भी इसमें कुछ गलत नहीं लगा.. :)
राष्ट्र गान से छेड़छाड़ न तो उचित है और न ही तर्कसंगत...!बात चाहे कितनी ही गहरी क्यूँ.. न हो.. उसे कहने के लिए इसका सहारा लेना ठीक नहीं है..!यह एक गलत और खतरनाक शुरुआत भी होगी..
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