Thursday, June 18, 2009

खुश ख़बर से नाखुश मैं...

आज सुबह अख़बार में एक ख़बर पढ़ी कि अब से एक शहर से दूसरे शहर जाने पर कॉलेज की पढ़ाई में कोई रूकावट नहीं आएगी। माने कि एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में आपका पुराना ब्यौरा स्थानांतरित हो सकता है। ये ख़बर सभी छात्रों के लिए खुशख़बरी से कम नहीं है। माता-पिता के लगातार होते ट्रान्सफ़र के चलते कई बार बच्चे इसके भुक्तभोगी होते हैं। मैं भी स्कूल के वक़्त में इसे झेल चुकी हूँ। हालांकि एक कॉलेज से दूरे कॉलेज में ट्रान्सफ़र लेते मैंने कइयों को देखा हैं, लेकिन एक विश्वविद्यालय से दूसरे में ट्रान्सफ़र नहीं मिलता है। और, ऐसे में सरकार की ये पहल क़ाबिलें तारीफ़ है। लेकिन, अख़बार में छपी इस ख़बर में आगे ये लिखा हुआ था कि सरकारी अधिकारियों और कुछ हद तक अख़बार में ख़बर लिखनेवाले का मानना था कि इसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा उन लड़कियों को मिलेगा जिनकी पढ़ाई के दौरान शादी हो जाती हैं। अख़बार में इस बात पर बार बार ज़ोर दिया गया था कि सबसे अच्छी बात है कि शादी के बाद भी लड़कियाँ अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगी। एक मायने में ये अच्छी बात है। मेरी मम्मी अब तक एमए प्रिवियस ही है वजह यही कि शादी हो गई और कॉलेज और यूनिवर्सिटी दोनों बदल गई। छात्रों की पढ़ाई न रूके इस मक़सद से प्रस्तावित ये प्रस्ताव स्वागत योग्य है। लेकिन, ऐतराज़ है हमारे इस नज़रिए से कि लड़कियों की बिना पढ़ाई पूरी करे शादी कर दी जाएं। क्या ऐसा होना संभव नहीं कि लड़की को पूरा पढ़ने दिया जाए और जब उसकी पढ़ाई पूरी हो जाए उसकी शादी की जाए। पूरी ख़बर को पढ़कर महसूस हुआ कि हम और हमारा समाज किस तरह से एक अजीब-सी सोच में जकड़ा हुआ है। हमें ये बात कहीं से कहीं तक खटकती ही नहीं है कि लड़कियों की कोई अपनी सोच नहीं, उन्हें फ़ैसले करने का हक़ नहीं यहाँ तक कि उनकी पढ़ाई भी कोई मायनें नहीं रखती...

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

आप की बात से सहमत हुं कि जब तक लडकी की पढाई पुरी ना हो जाये तब तक उसे शादी नही करनी चाहिये,ओर ना ही उसे शदी करने पर मजबूर करना चाहिये.
बाकी यह आख्बार मै छपी खबर से कोई खुश होने कि बात नही, क्योकि भारत मै अभी यह बात आसंभव लगती है, बाकी छापने को तो रोज नये से नये कानून बनते ओर छपते है, लेकिन फ़िर भी जंगल का राज ही चलता है

Science Bloggers Association said...

आपकी शिकायत जायज है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

कुश said...

सही कहा रही हो दीप्ति.. ये वाकई बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि लड़कियों की शादी विवाह से पहले कर दी जाए.. अभी हमें बहुत वक़्त लगेगा..