Wednesday, July 8, 2009

सिर्फ़ लगन की ज़रूरत है...

देशभर में मॉनसून देर से आया है और कई जगह पानी की भीषण समस्या आन खड़ी है। ऐसे में हम लोगों का आधुनिक होते जाना आज हमें ही अखर रहा हैं। कुछ दिनों पहले दीप्ति की लिखी एक पोस्ट पढ़ी - आज भी खरे हैं तालाब... जिस किताब का ज़िक्र दीप्ति ने इसमें किया था वो मैंने भी कुछ ही दिनों पहले पढ़ी थी। ये सच है कि हम आधुनिक होते जा रहे हैं और पानी के परम्परागत स्त्रौतों... ख़ासकर उन स्त्रौतों का भूलते जा रहे हैं जिन्हें कभी हमने ही बनाया था। जिनके चलते रेगिस्तान में भी आजतक सालभर पानी मिल पाता हैं। बात केवल शहरी पानी के स्त्रौतों की नहीं है बल्कि जंगलों में प्राकृतिक रूप से बने हुए स्त्रौत भी अब सूखने लगे हैं। यही वजह है कि कई बार जंगली जानवर गांवों और शहरों में जाते हैं। ऐसे में कई दफ़े हम इंसान जानवरों से भी बुरा बर्ताव करते हैं और उन्हें मार देते हैं। लेकिन, कुछ लोगों में आज भी मानवता बाक़ी है। जम्मू से पैंसठ किलो मीटर की दूरी पर बसा जसरोटा गांव भी ऐसा ही एक गांव है। ख़ुद पानी के लिए तरस रहा ये गांव एक वाइल्ड लाइफ़ सेन्चुरी में बसा हुआ है। ख़ुद पानी की किल्लत से जूझ रहे इस गांव में पिछले कुछ दिनों से कुछ जानवर जंगल छोड़कर आने लगे थे। ये सभी जानवर यहाँ पानी की तलाश में रहे थे। जब भी ऐसी कोई घटना होती है सामान्यतः ख़बर ये होती है कि गांव में जानवर घुसे और लोगों ने उन्हें पीट पीटकर मार डाला। लेकिन, यहाँ से आई ख़बर कुछ अलग थी कुछ सूकुन देनीवाली और कुछ मानवता को समटे हुए। गांववालों ने जानवरों की इस समस्या को समझा और उसकी जड़ खोजी। पता चला कि जंगल में बना तालाब सूख चुका है और जानवरों के पास पीने के पानी का कोई ज़रिया नहीं बचा है। गांववालों ने मिलकर उस तालाब को गहरा किया और बारिश का इंतज़ार ना करते हुए ख़ुद ही अपने घरों से पानी ला लाकर उस तालाबको भरने का काम शुरु कर दिया। आज उस तालाब में इतना पानी है की जानवर अपनी प्यास बुझा सकेगांव का हर शख्स उसमें अब ना जाने कितने मटके पानी डाल चुका हैं। हम आए दिन पानी को लेकर हो रही लड़इयों और हत्याओं की ख़बरें सुनते देखते रहते हैं। लेकिन, ऐसी ख़बर कही दब कर रह जाती है। जसरोटा गांव के लोगों ने आज ये साबित कर दिया है कि अगर आम जनता चाहे तो बिना प्रशासन का मुंह ताके वो सिर्फ़ ख़ुद का बल्कि औरों का भी भला कर सकती हैं...

4 comments:

Udan Tashtari said...

सार्थक प्रयास गांव वालों का और उम्दा संदेश आपकी पोस्ट के माध्यम से.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

bahut khari baat hai aapki....ye jahaan tak pahunche...!!

anil said...

सार्थक प्रयास अच्छा सन्देश दिया है आपने धन्यवाद ,

राजन अग्रवाल said...

बहुत अच्छी बात है, अगर देश का हर आदमी इसी तरह सोचने लगे तो कितना अच्छा हो??