Saturday, July 31, 2010

पुरुषवादी मोबाइल संदेश...

आज शाम मेरे मोबाइल में एक सिक्का गिरा। (दरअसल सिक्का गिरने की आवाज़ मेरी मैसेज टोन है) मैंने मैसेज पढ़ा तो उसका भावार्थ कुछ ये था कि कॉफी आइडियावाली के साथ, लंच वोडाफोनवाली के साथ और डिनर टाटावाली के साथ, लेकिन, शादी बिना फोनवाली के साथ। पढ़कर ऐसा लगा कि इस मैसेज को बनाने और इसे फारवर्ड करनेवालें घटिया सोच के मालिकों को कुछ खरी खरी सुनाऊ। लेकिन, ऐसा कुछ किया नहीं क्योंकि जब भी कभी मैंने ऐसा किया मुझे कुछ ज़्यादा ही गंभीर और फालतू की बातों पर किचकिच करनेवाली मान लिया जाता हैं। ऐसे लोगों से लेकिन, सच में मुझे चिढ़ हैं। इस मैसेज से साफ साफ झलकता है कि ये लोग अपनी मस्ती के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और उसे सही भी ठहरा सकते हैं। लेकिन, घर चलाने और वंश बढ़ाने के लिए इन्हें ए ग्रेड अनछुई ही चाहिए। खुद कही भी कुछ भी करे लेकिन, जीवन साथी ऐशा चाहिए जिसके मन में किसी और से केवल बात करने का ख्याल भी कभी न आया हो। ऐसा एक बहुत बड़ा तबका है जोकि इस तरह की सोच रखता है खासकर लड़के। मैं ये नहीं कहती कि लड़कियां ऐसी सोच नहीं रखती है लेकिन, इसमें ज़्यादातर लड़के शामिल हैं। अगर केवल मोबाइल पर घूम रहे मैसेज को ही ध्यान से पढ़े औऱ उन पर एक शोध करें तो हम पाऐगे कि ज़्यादातर मैसेज लड़कियों को इस्तेमाल की वस्तु या फिर दूषित मानकर लिखे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ दिन पहले आया एक मैसेज जिसमें एक सज्जन ने लिखा कि आजकल हरेक बीवी गर्ल फ्रेन्ड होती है या तो आपकी या फिर किसी और की। अब मन तो बहुत हुआ कि सज्जन से पूछा जाए कि भई क्या ये लड़कों पर लागू नहीं होता... लेकिन, ये तो एक मज़ाक है और मुझे कोई हक नहीं है कि मैं उसे गंभीरता से लूं। आखिर, लड़की या उसका चरित्र हमेशा से इस पुरुषसत्तामक समाज में पुरुषों की जागीर जो रहा है...