ज़िंदगी कितनी अजीब, कितनी मज़ेदार, कितनी दुखदायी, कितनी कितनी... हो सकती है ये बात मुझे कल पता चली। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप अपने ही घर ना जा पाएं वो भी डर के मारे? अजीब लगता है ना सुनकर? लेकिन, ये सच है। कल मेरे सामने जो हुआ उसे याद करके अभी तक चेहरे पर हंसी आ जाती है। लेकिन, जिनके साथ ये सब हुआ उनके चेहरे शायद अभी तक पीले होंगे।
ये कहानी दुख भरी है। आप भी सुनेगें तो आंसू आ जाएगें।
ये कहानी दुख भरी है। आप भी सुनेगें तो आंसू आ जाएगें।
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कहानी कुछ यूँ है - मेरे दो दोस्त पिछले एक महीने से अपने किसी तीसरे मित्र के आंतक में जी रहे हैं। होता कुछ यूँ है कि मित्र रोज़ाना रात कभी 10 बजे, तो कभी 11 बजे, तो कभी 12 बजे इनके रूम पर धमक पड़ते हैं। दिनभर ऑफ़िस में पिसकर आए ये दोनों दोस्त चैन की नींद चाहते हैं। लेकिन, मित्र है कि रोज़ आ जाते हैं। कल हुआ ये कि ये दोनों दोस्त मेरे रूम पर बैठे हुए थे कि तब ही मित्र का फोन आया कि वो आसपास ही है और उनके रूम पर आना चाहते हैं। दोनों की जैसे सांसें ही रुक गई। दोस्त ने कहा थोड़ी देर लगेगी, यही खाना हैं हमारा। इस झूठ के बाद दोनों आपस में मित्र से छूटने के तरीक़ें खोजने लगें। मेरे घर में छुपकर बैठे इन दोस्तों से मैंने जानना कि आखिर बात क्या है? तो कहानी कुछ यूँ है, कि मित्र किसी स्त्री से धोखा खाएं हुए हैं और अब उनका मन कही लग नहीं रहा है। अच्छी ख़ासी नौकरी करते हैं, अपना कमाते और डटकर खाते हैं। लेकिन, फिर भी मन है कि विचलित है। इसी मन को शांत करने के लिए वो ढोर ढ़ूढते रहते हैं। मित्र की जॉब प्रोफ़ाईल कुछ ख़ास पता नहीं है मुझे। शायद किसी कॉल सेंटर में काम करते हैं वो। यही वजह है कि वो रात के मुसाफ़िर हैं। दिन बैचेनी में बीतता है और शाम कांटे नहीं कटती हैं। ऐसे में मित्र को इन दोस्तों की याद आती हैं। ये दोस्त बेचारे दिन में नौकरी बजाते हैं और शाम को थके रूम आते हैं और फिर आराम से रहना चाहते हैं। ऐसे में ये मित्र आकर अपना दुखड़ा शुरुकर देते हैं।
नौकरी से परेशान हैं हम तो, कोई साथी ही नहीं बचा हमारा तो, अब हम क्या करें, ब्ला... ब्ला... ब्ला...
बात यही तक होती तो झेली जा सकती थी। लेकिन, मित्रवत् की आवाज़ का पिच इतना हाई रहता है कि ऊपर नीचे सभी सुन लें और रात के वक़्त तो यूँ ही शांति पसरी रहती है। दोस्तों ने दुख भरी कहानी आगे बढ़ाई और बताया कि कैसे मित्र उन्हें जबरन पकड़ पकड़कर अपने दोस्तों के यहाँ ले जाते हैं।
अरे क्या सो रहे हो, उठो यार, तुम तो अभी से बुढ़ा गए हो, ब्ला... ब्ला... ब्ला...
मित्र के मित्रों से मिलने जाना दोस्तों के लिए कालापानी की सज़ा के बराबर होता है। बात यही ख़त्म नहीं होती मित्रवत् का दिमाग अब कुछ उल्टा ही घुमना शुरु हो गया है। कई बार वो महिला मित्रों से कई ऐसी बातें बोल जाते है कि ये दोस्त बलगें झांकने लगते हैं। अब तक की कहानी से यही लगा कि बात ये है कि दोस्त मित्र से परेशान है। लेकिन, यही आया कहानी में एक मोड़। जिसे मैंने कॉफ़ी के इंटरवल के बाद सुना...
तो बात फिर शुरु हुई... दोस्तों ने नया रूम खोजना शुरु कर दिया हैं। मैंने पूछा क्यों, आपका रूम तो बढ़िया है। दोस्तों ने बताया कि मित्रजी के रात-बिरात रूम आगमन और लाउड स्पीकर आवाज़ से मकान मालिक भी ख़फ़ा हैं।
मकान मालिक ने कह दिया है कि - मित्र को भगाइए या ख़ुद निकल जाइए।
आखिर मकान मालिक की चार बेटियाँ हैं। वो कब तक ये देखेगा। इसी बीच एक दोस्त ने कुछ उपाय भी बताए जो वो बचने के लिए हाल फिलहाल उपयोग कर रहे हैं। जैसे कि, जैसे ही मित्र फ़ोन करके आने की ख़बर देते है वो खा पीकर 8 बजे ही सो जाते हैं। या फिर रूम छोड़कर मोहल्ले में भटकते रहते हैं। मैंने कहा मित्र को समझाइए कि थोड़ा ध्यान रखें यूँ देर रात ना आया करें। जवाब बड़ा मज़ेदार मिला दोस्तों ने कहा - अब हम जितनी भाषाएं जानते थे, सभी में उन्हें समझा चुके हैं। उन्हें समझ ही नहीं आता हैं। अब आप तो जानती ही है कि भले कुछ भी हो संबंध ख़राब नहीं होने चाहिए...
ये दोनों दोस्त पूरी शाम मुझे मित्र के किस्से सुनाते रहे कुछ एडीटेट, कुछ अनएडीटेट। मैं सुनती रही और हंसती रही। मुझे सच में यक़ीन नहीं हो रहा था कि क्या कोई इतना भी झिलाऊ हो सकता है कि उससे बचने के लिए अपना ही रूम छोड़कर भागना पड़े...
नौकरी से परेशान हैं हम तो, कोई साथी ही नहीं बचा हमारा तो, अब हम क्या करें, ब्ला... ब्ला... ब्ला...
बात यही तक होती तो झेली जा सकती थी। लेकिन, मित्रवत् की आवाज़ का पिच इतना हाई रहता है कि ऊपर नीचे सभी सुन लें और रात के वक़्त तो यूँ ही शांति पसरी रहती है। दोस्तों ने दुख भरी कहानी आगे बढ़ाई और बताया कि कैसे मित्र उन्हें जबरन पकड़ पकड़कर अपने दोस्तों के यहाँ ले जाते हैं।
अरे क्या सो रहे हो, उठो यार, तुम तो अभी से बुढ़ा गए हो, ब्ला... ब्ला... ब्ला...
मित्र के मित्रों से मिलने जाना दोस्तों के लिए कालापानी की सज़ा के बराबर होता है। बात यही ख़त्म नहीं होती मित्रवत् का दिमाग अब कुछ उल्टा ही घुमना शुरु हो गया है। कई बार वो महिला मित्रों से कई ऐसी बातें बोल जाते है कि ये दोस्त बलगें झांकने लगते हैं। अब तक की कहानी से यही लगा कि बात ये है कि दोस्त मित्र से परेशान है। लेकिन, यही आया कहानी में एक मोड़। जिसे मैंने कॉफ़ी के इंटरवल के बाद सुना...
तो बात फिर शुरु हुई... दोस्तों ने नया रूम खोजना शुरु कर दिया हैं। मैंने पूछा क्यों, आपका रूम तो बढ़िया है। दोस्तों ने बताया कि मित्रजी के रात-बिरात रूम आगमन और लाउड स्पीकर आवाज़ से मकान मालिक भी ख़फ़ा हैं।
मकान मालिक ने कह दिया है कि - मित्र को भगाइए या ख़ुद निकल जाइए।
आखिर मकान मालिक की चार बेटियाँ हैं। वो कब तक ये देखेगा। इसी बीच एक दोस्त ने कुछ उपाय भी बताए जो वो बचने के लिए हाल फिलहाल उपयोग कर रहे हैं। जैसे कि, जैसे ही मित्र फ़ोन करके आने की ख़बर देते है वो खा पीकर 8 बजे ही सो जाते हैं। या फिर रूम छोड़कर मोहल्ले में भटकते रहते हैं। मैंने कहा मित्र को समझाइए कि थोड़ा ध्यान रखें यूँ देर रात ना आया करें। जवाब बड़ा मज़ेदार मिला दोस्तों ने कहा - अब हम जितनी भाषाएं जानते थे, सभी में उन्हें समझा चुके हैं। उन्हें समझ ही नहीं आता हैं। अब आप तो जानती ही है कि भले कुछ भी हो संबंध ख़राब नहीं होने चाहिए...
ये दोनों दोस्त पूरी शाम मुझे मित्र के किस्से सुनाते रहे कुछ एडीटेट, कुछ अनएडीटेट। मैं सुनती रही और हंसती रही। मुझे सच में यक़ीन नहीं हो रहा था कि क्या कोई इतना भी झिलाऊ हो सकता है कि उससे बचने के लिए अपना ही रूम छोड़कर भागना पड़े...
8 comments:
तरीका यह है छूटने का कि आप उधार मांगना शुरु कर दें कि मकान मालिक को देना है। या कहीं और देना है. जब भी आयें, उधार मांगना शुरु कर दें। या फिर एक दिन मुझे बता दें मैं फर्जी सीबीआई अफसर आकर इन्क्वायरी करने लगूंगा कि उन पर अमेरिकन सीआईए ने डाटा चोरी का आरोप लगाया है।
वैसे सबसे धांसू तरीका यह है कि उन्हे आते ही आप सौ के करीब कविताएं सुनायें। और फिर उनके बारे में राय पूछें। ऐसी करीब दो सौ कविताएं मेरे पास ही हैं।
पहली कविता यूं है
तुम मैं रात
जूता लात
सुन बे तात
हाहाहाहा
हूहूहा
बूहाहूहहूहाहाहा
सुबुक सुबुक
वाहाहाहाहाहा
आपकी ये सलाह मैं अपने दोस्तों तक ज़रूर पहुंचा दूंगी।
एक 'ना' हजार संकटों से मुक्ति दिला देती है । वे दोस्ती भी बनाए रखना चाहते हैं और नींद भी खराब नहीं करना चाहते । दोस्ती पालनी हो या नींद लेनी हो - तो कीमत तो चुकानी ही पडेगी । देअर इज नो फ्री लंच ।
इन तथाकथित के प्रेम के मारों से काफी गंभीर होकर मिनट में साढ़े तेरह बार कहा जाए उसको छोड़ो यार वो क्या है कि दरअसल आई लव यू...। आओ नई कहानी बनाएं।
उधार मांगने के साथ थोडा खाना वगैरह भी बनाने के काम मे लगाया जा सकता है.....सब्जी कटवा सकती है....हो सके तो कपडे वगैरह भी धोने के लिये मित्र को दिये जा सकते है.....और फिर भी मित्र न भागें तो टीवी पर किसी बाबा ओबा का प्रवचन दिखला दें........और यह सब भी काम न आये तो बिंदास खिडकी खोल कर बाहर कूद जाएं ....आपकी आँख अवश्य खुल जाएगी और शायद कह बैठें...बडा भयानक सपना था :)
deepti aap ne kafi vyathit hote hue likha hai.Aisa sayad kai logo ke saath hota hoga.aise kisi bhi mehmaan ke aane ki suchna milne par aap ek chota sa pryatna kara kare ,hanuman chaalisa ka paath kar liya kare,bada laabh milega.aajmayeega jarro.
ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहो हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहानालहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना*******
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना.***********
याद आए कभी तो आँखें बंद मत करना........
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना..........
दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो...............
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो................
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो...........
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो.................***
बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.
ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहो हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहानालहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना*******
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना.***********
याद आए कभी तो आँखें बंद मत करना........
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना..........
दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो...............
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो................
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो...........
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो.................***
बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती
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