Wednesday, November 26, 2008

एक पत्रकार की हत्या..

बिहार के समस्तीपुर में दैनिक हिन्दुस्तान के एक रिपोर्टर की गोली मार कर हत्या कर दी गई.. उस पत्रकार की कितनी तनख्वाह होगी.. ज्यादा से ज्यादा सात आठ हज़ार रूपये... महज़ इतनी कमाई के लिए कोई अपनी जान नहीं दे सकता. लेकिन विकास रंजन ने अपनी जान दे दी. कारण साफ़ है पत्रकारिता उनका पेशा ही नहीं जूनून था.. सच को हर कीमत पर सामने लाने के उनके इरादों ने अपराधियों और काला कारोबार करने वालों की चूले हिला दी.. और इन्ही अपराधियों ने उनकी जान ले ली. हम इसकी घोर भर्त्सना करते हैं. विकास की मौत पत्रकारिता को दलाली का पेशा बना देने वाले लोगों के चेहरों पर कालिख पोत गई.. लूज़ शंटिंग की तरफ़ से दिवंगत विकास को श्रद्धा सुमन.

7 comments:

Anil Pusadkar said...

मेरी और रायपुर प्रेस क्लब् परिवार की ओर से विकास को श्रद्धाँजलि.विकास जैसे ईमानदार पत्रकारो की वजह से ही इस पेशे की इज़्ज़त बनी हुई है.नमन करता हुँ विकास की शहादत को.

varsha said...

जुनूनी पत्रकार को श्रद्धा सुमन

Alok Nandan said...

vikas ke bare me aur jankari dijiye..voh kaya kar raha tha, kaisi khabaren likh raha tha, kin logon ke khilaph kahbare likh raha tha...usaki sonch kaya thi...aadi....ho sake to usake pure personality ko ubhariye...vikas ke kamo ko samane la sake to jada behatar hoga..
alok nandnan

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

meri bhi shraddhaanjali, lekin unke kaatil pakde jaayen aur unhe bhi saja mile tabhi poorn hogi

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

meri bhi shraddhaanjali, lekin unke kaatil pakde jaayen aur unhe bhi saja mile tabhi poorn hogi

अवाम said...

मैं पत्रकारिता का विद्यार्थी हूँ मैं अपने पूरे विश्वविद्यालय परिवार की तरफ़ से विकास जी को श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ.

Anonymous said...

junun aur kalam ke is sipahi ko salam. Lekin vikas ji ki hatya ek sath kai sawal jhod jate hai. kya unki hatya unke satya aur kartbya ki hatya hai? kya is hatya k liye hum jimedar nahi hai. kahi na kahi iske liye hum bhi doshi hai, kyoki aaj patrkarita mission ke bajaye commission banta ja raha hai.