Monday, April 27, 2009

नाक में उंगली...


आज सुबह एक अंग्रेज़ी दैनिक अख़बार में एक तस्वीर देखी। तस्वीर में एक ढाबे के आगे उसमें काम करनेवाला व्यक्ति खड़ा हुआ है और उसकी उंगली नाक में है। केप्शन है कि क्या आप इस ढाबे में खाना खाएगें...
कोई इंसान कितना सभ्य है ये जान पाना एक बेहद मुश्किल काम है। कम से कम मेरे लिए। कई लोग ऐसे होते हैं जो कभी-कभी तो बेहद ही सभ्य इंसान की तरह व्यवहार करते हैं लेकिन, दूसरे ही पल कुछ ऐसा कर जाते हैं कि इमेज पर पानी फिर जाता हैं। ऐसी ही एक हरक़त है - नाक में उंगली डालना। रोज़ाना कम से कम 20 लोग ऐसे दिख ही जाते है जिनकी उंगली नाक में हो। उनकी ये हरक़त देखकर घिन जाती है। ऐसा लगता है कि क्या घटिया इंसान है इसे ज़रा सी भी तमीज़ नहीं। लेकिन, कई बार जब इन्हें गौर से देखो तो लगता हैं कि शायद किसी गहन विचार में ये लोग। ऐसे जैसे कि कुछ सोच रहे हो और वो विचार उनकी नाक से निकल रहे हैं। लोग नाक में उंगली कुछ यूँ करते हैं कि जैसे सर खुजा रहे हो। नाक में उंगली कर ली और फिर उसी से खाना भी खा लिया या फिर किसी से हाथ भी मिला लिया। मेरे कुछ दोस्त में इस काम में एक्सपर्ट हैं। कई बार मेरी उनसे इस बात पर बहस हो जाती हैं। मैं कहती हूँ कि उंगली क्यों एक कुदाली ले आओ... या फिर ये कि क्या पिछले जन्म में क्या कोयले की खान में काम करते थे... हर बार एक ही जवाब कि तुम बहुत सोफ़ेक्टीकेटेट हो, कुछ ज़्यादा ही सोचती हो। मैं तर्क देती रह जाती हूँ कि बाथरूम में ये काम किया करो, फिर हाथ धोया करो, लेकिन मज़ाल कि कोई सुन ले। जहाँ देखो वहाँ कोई कोई नाक को खोजते हुए दिखाई दे ही जाता हैं।
क्या आप भी इन लोगों की लिस्ट में शामिल हैं या फिर क्या आपके आस पास भी कोई ऐसे नाक में उंगली डाले चिंतक.... मुझे ज़रूर बताएं...

3 comments:

विजय वडनेरे said...

औरों की क्या कहें....??

हम तो खुद अभी "इसी" गहन चिंतन में नाक तक, ooops..i mean, गले तक डुबे हुये हैं।

कुश said...

सोफेस्टीकेटेड होना भी ज़रूरी है.. वैसे गहरा चिंतन व्यक्ति एकांत में ही कर सकता है तो एकांत में नाक में ऊँगली डाले जाने में कोई प्रोब्लम नहीं लगती.. पर भीड़ वाली जगहों पर जहाँ तक हो सके बचना चाहिए.. बाकी तो खुजली भी नेचर काल्स की केटेगरी में ही आती है तो कुछ भी कहना ज्यादा ही होगा..

Anonymous said...

दीप्ति, ये इस वस्तु का विज्ञापन था?