ओह, आय एम सॉरी बट मेरा हिन्दी बहुत पूअर है। आय एम सॉरी मैंने हिन्दी में कभी कुछ नहीं पढ़ा। और, न जाने ऐसी ही क्या-क्या बातें.... हिन्दी को हीन माननेवाले और उससे अन्जान ये लोग ज्यादातर भारत की ही पैदाइश है। यही पले और बढ़े हुए इन लोगों को भारत या भारतीय होने पर कोई गर्व है या नहीं, ये कहना मुश्किल है। लेकिन, हिन्दी पढ़ना और बोलना इन्हें फनी लगता है ये बात सौ फीसदी सच है। मैट्रो में होनेवाली हिन्दी की उद्घोषणाओं को सुनकर हंसते और मज़ाक बनाते लोग रोज़ाना दिखाई दे जाते है। केवल अंग्रेज़ी में हंसने, बोलने और जीनेवाले लोगों के लिए हिन्दी बोलने का अर्थ है किसी गरीब या अनपढ़ से बात करना। ऐसे माहौल में कौन बनेगा करोड़पति का नया विज्ञापन कटाक्ष है अंग्रेज़ीदा नस्ल पर। भाषा के रूप में अंग्रेज़ी या हिन्दी को सीखना सही है लेकिन, भारतीय होते हुए भारत की राज भाषा को न सीखना और उससे ज्यादा उसका मज़ाक बनाना केवल हमारे देश में ही संभव है। इस विज्ञापन को देखकर मुझे मेरी ही याद आ गई कि कैसे मैं अंग्रेज़ी के निम्नतम ज्ञान के बावजूद ज़रा सी हिन्दी और साफ अंग्रेज़ी जाननेवाले व्यक्ति से हिन्दी में ही बात करना पसंद करती हूँ। फिर चाहे वो रस्किन बॉड ही क्यों न हो। केवल आधुनिक दिखने के लिए और खुद को एक पायदान ऊपर दिखाने के लिए जब लोग इस भाषा का प्रयोग करते है तो मुझे उन्हें उस भ्रम से निकालने में और मज़ा आता है। ऐसा नहीं है कि अंग्रेज़ी से कोई समस्या है बस बात इतनी सी है कि हिन्दी से बहुत प्यार है।
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