Thursday, December 26, 2013

तनीषा मुखर्जी के बहाने

बिग बॉस में तनीषा और अरमान
बिग बॉस को देखनेवाले, उसे गरियानेवाले, उसे छुप-छुप के देखनेवाले और सामने ये बोलनेवाले कि हम ऐसे कार्यक्रम नहीं देखते हैं। सभी इस बात से हैरान है कि तनीषा इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही हैं। अरमान की हर ज्यादती को क्यों सह रही हैं। क्यों वो उसके ग़लत होने पर भी उसकी तरफ़दारी करती रही। आखिर ऐसी क्या मज़बूरी है कि वो इस तरह का व्यवहार ना सिर्फ़ कर रही हैं बल्कि बार-बार लोगों के बोलने के बावजूद उससे ऊबर नहीं पा रही हैं। एक आधुनिक और लगभग आत्मनिर्भर-सी दिखाई देनेवाली तनीषा ही एकमात्र ऐसी महिला प्रतियोगी है जिसे बार-बार ये बात बोलनी पड़ जाती है कि उसकी ज़िंदगी पर उसकी माँ या बहन का नियंत्रण नहीं हैं। वो अपने फैसले खुद लेती हैं। तीस पार चुकी किसी भी आधुनिक महिला का बार-बार ये बोलना कि उस पर किसी पर नियंत्रण नहीं है ये साफ करता है कि वो किस हद तक परिवार के दबाव में जीती है। अरमान जैसे बददिमाग इंसान के रूप में शायद तनीषा को उस नियंत्रण के साथ थोड़ा-सा प्यार मिल रहा हैं।
  शायद हमारे आसपास ऐसी कई महिलाएं/लड़कियाँ मौजूद हैं जो दिखती तो आत्मनिर्भर हैं लेकिन, कहीं ना कहीं  भंयकर रूप से अपने परिवार के दबाव में हैं। करियर में बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाना या अकेले रहना आज भी एक महिला के लिए जीवन को मुश्किल बना देनेवाली बातें हैं। परिवार में अपनी अपनी इज्जत को बनाएं रखने के लिए एक औरत होने के नाते जिस दबंगई की ज़रुरत होती हैं वो हर लड़की के पास नहीं होती। स्वभाव का सौम्यपन एक अकेली महिला को कितना भारी पड़ सकता है इसे मैंने बहुत करीब से महसूस किया है। ऐसे में तनीषा को शायद अरमान के रूप में वो संबल नज़र आया हो जो उसे परिवार के दबाव से मुक्त कर सके।
  हालांकि अरमान भी न तो व्यवसायिक रूप से और ना ही निजी रूप से सफल व्यक्ति है। बावजूद इसके उनके स्वभाव में न कोई घबराहट है और ना ही वो हिचक जो तनीषा के चेहरे हमेशा बनीं रहती हैं।

 इन दोनों ही असफल लोगों के व्यवहार और उनके बीच पनप रहे रिश्ते को देखकर हम हमारे आधुनिक समाज के खोखलेपन को समझ सकते हैं। जहाँ आज भी लड़के का निकम्मा होना उसके लिए गर्व की ही बात हैं। और, एक लड़की के लिए आज भी अकेले जीना और लोगों से जूझना मुश्किल काम हैं।    

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