बस में बैठी दो आंटीजी जिन्हें ग्यारह बजे तक
ऑफिस पहुंचना रहता है बस की भीड़ और बदले हुए रास्तों पर हुई उनकी बातचीत...
पहली- केजरीवाल की धरने की तैयारी है इसलिए तो
चार मैट्रो स्टेशन भी बंद है।
दूसरी- अच्छा... वो धरना दे रहा है??? अब
क्यों कर रहा है??? जीत तो गया है वो....
थोड़ी देर बाद... बस का ड्राइवर जो बदलते हुए
रास्तों पर परेशान-सा बस घुमाए जा रहा है...
ड्राइवर- अरे ये मीडियावाले यहाँ क्या कर रहे हैं???
पूरी दिल्ली में कुछ ना हो रहा है क्या??? सब यहीं खड़े हो
गए...
मैं- आज केजरीवाल धरना दे रहे हैं इसलिए सब यहाँ
है।
ड्राइवर- अब क्या हो गया इसे???
मैं- वो दिल्ली पुलिस से नाराज़ है... चाहता है
कि उसके अंडर आ जाए...
ड्राइवर- सब कुछ उसको चाहिए??? सब
आ जाए क्या उसके अंडर... फजीहत तो हमारी हो रही है... अब कहाँ से घुमाऊँ मैं बस...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgP1MamEKGvb141fq0Db7aK7EBcng5FMA2_jECyxpvMhOMl3kwS-UXFfqZZ4IM1BSMBtQbkdOI8aU3xE2iJDXhoNe36i3AQR8KK2zBLbPOYBkaUjCik1PAW8qBZC12sal86gmJaebNWsyw/s1600/M_Id_452737_Kejriwal.jpg)
इन सभी धरनों और अहम की लड़ाइयों के बीच मेरे सवाल बस इतना-सा है कि दिल्ली
मैट्रो रेल कॉर्पोरेशन इतनी जल्दी नर्वस क्यों हो जाती हैं??? जहाँ
देखा कुछ होनेवाला है झट से शटर गिरा देती हैं। भीड़ से इतना घबराकर ही वो ट्रेन
चलानेवाली है क्या। इतनी सुरक्षा है, इतनी लोग दिन रात काम कर रहे हैं। फिर क्यों
मैट्रो में इतनी कूबत नहीं कि वो खुद को और हमें आसानी से चला सकें। ऐसे समय में
हमेशा की तरह डीटीसी काम आती हैं। इधर-उधर से घुमाकर, रूककर, झल्लाकर, कैसे भी
लोगों को पहुंचा तो देती हैं। ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgP1MamEKGvb141fq0Db7aK7EBcng5FMA2_jECyxpvMhOMl3kwS-UXFfqZZ4IM1BSMBtQbkdOI8aU3xE2iJDXhoNe36i3AQR8KK2zBLbPOYBkaUjCik1PAW8qBZC12sal86gmJaebNWsyw/s1600/M_Id_452737_Kejriwal.jpg)
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