Sunday, November 15, 2020

कोरोना काल में भी अपार धन से सजा रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर- राजा दुबे



 रतलाम के माणिक चौक में महालक्ष्मी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां सोने-चाँदी और रत्नजड़ित बहुमूल्य गहने और नकद धनराशि महालक्ष्मी और मंदिर के गर्भगृह को सजाने के लिये भक्तों द्वारा धनतेरस के दिन दी जाती है। महालक्ष्मी मंदिर में सालों से गहने और नगद राशि चढ़ाने की परंपरा रही है। इस भेंट को बकायदा रजिस्टर में नाम व फोटो के साथ नोट भी किया जाता है। इसके बाद रिकॉर्ड के आधार पर भक्तों को सबकुछ प्रसादी के रूप में लौटा दिया जाता है। 


नकद धनराशि के अलावा सोना-चांदी, हीरे-मोती से सजावट के लिए देशभर में अपनी पहचान रखने वाले रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सजावट के लिए धन आना शुरू हो गया है। शहर के माणिकचौक स्थित प्रसिद्ध श्री महालक्ष्मी मंदिर को इस मर्तबा भी नकदी राशि व आभूषणों से सजाया गया है। मां के दरबार में राशि चढ़ाने वालों को टोकन दिया जा रहा है। शहर सहित अन्य शहरों से भी यहां भक्त पहुंच कर राशि दे रहे हैं। नकदी राशि, आभूषण सहित अन्य कीमती सामग्री से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया गया है और इस श्रृंगार के दर्शन धनतेरस से दीवाली तक भक्त कर पाये। इसके बाद प्रसादी के रूप में जिन-जिन भक्तों ने अपनी कीमती सामग्री यहां दी वे वापस लेना शुरू कर दी।

इस बार कोरोना महामारी के चलते हर साल के मुकाबले हीरे, जेवरात, सोने-चांदी के आभूषण कम आने की उम्मीद है फिर भी नकदी राशि लेकर भक्त पहुंचे।  शहर सहित, बडोदरा, इंदौर, पेटलावद, सारंगी, जावरा सहित अन्य शहरों से आए भक्तजन ने नकदी राशि जमा कराने के साथ ही टोकन हासिल किया है। मंदिर परिसर को नोटों की वंदनवार से सजाया गया। धनतेरस के एक दिन पहले कुबेर के धन से मां का श्रृंगार किया गया। अगले दिन  सुबह महाआरती के साथ ही भक्तों के दर्शन लिए मां के पट खोले गये जो दिवाली तक खुले रहे और भाईदूज से सामग्री लौटाने की शुरुआत की गयी। 

भक्तों की आस्था है कि यहां नोट-आभूषण रखने से सालभर घर में बरकत रहती है। खास बात यह कि देते और लेते समय कोई हिसाब-किताब नहीं होता। लोगों की आस्था और विश्वास सिर्फ एक टोकन के भरोसे है। पहले यहां टोकन सिस्टम नहीं होता था। टोकन के बाद पिछले साल से पासपोर्ट फोटो भी लेना शुरू कर दिया ताकि प्रसादी के रूप में लौटाई जाने वाली राशि व अन्य कीमती सामग्री में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो पाए। मंदिर के पुजारी ने बताया कि धनतेरस की पूर्वसंध्या को शाम 5 बजे तक नकदी राशि, आभूषण सहित अन्य कीमती सामग्री मां के दरबार में चढ़ाने के लिए भक्तों से ली जाती है। इसके बाद मंदिर का दरबार सजाया जाएगा। जो अगले दिन भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है । 

कोरोना संक्रमण को देखते हुए धनतेरस से दीवाली तक भक्तों का मंदिर में प्रवेश निषेध रहा। मंदिर के बाहर तख्त भी लगा दिया गया था। यहां से भक्त महालक्ष्मी के दर्शन कर पाये। जहां वाहनों की पार्किंग की गयी वहां बैरिकेट लगाकर महिला व पुरूष अलग लाइनें लगाकर दर्शन करवाये गये । परंपरा में कोई बदलाव नहीं किया गया। कुबेर पोटली नहीं बांटी गयी।


राजा दुबे

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