Saturday, November 22, 2008

महिला: महिला की दुश्मन?

महिलाओं के साथ होनेवाले दुर्व्यवहार रोज़ना ही ख़बरों में सुर्ख़ियाँ और अख़बारों की बॉक्स ख़बर बनते रहते हैं। कभी महिला को ब्लात्कार कर मारा जाता है, कभी घरेलू हिंसा, तो कभी प्यार या इज़्जत के नाम पर महिलाओं की बलि। फ़िलवक़्त ही मोहल्ला पर राजकिशोरजी का एक लेख पढ़ा वर्ग एकता का एक नमूना। जोकि एक शिक्षक के पीछे छिपे दानव को उजागर कर रहा है। प्रताड़ना महज शारीरिक नहीं होती है मानसिक भी होती है। और, मानसिक प्रताड़ना के घाव गहरे तो होते हैं, लेकिन नज़र नहीं आते हैं। लेकिन, इस तरह की अमानवीय घटनाओं को हम कही न कही जीवन का हिस्सा मानते जा रहे हैं। दीप्ति की पिछली पोस्ट पर आए कमेन्ट भी उसे यही समझा रहे थे कि इस तरफ मत ध्यान दो और लिखते रहो। ये बात सही भी है। किसी की विकृत मानसिकता के चलते हम जीना नहीं छोड़ सकते। लेकिन, साथ ही ज़रूरत है ऐसे मानसिक रोगियों से निपटने की। और ऐसे वहशियों से निपटने जो महिलाओं को तरह-तरह से शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।
मेरे इस लेख में महिलाओं के लिए सहानुभूति के साथ-साथ उनसे एक सवाल भी है। ज़माने से ये बात चली आ रही है कि महिला ही महिला की दुश्मन होती है। क्या ये बात सही हैं। आज सुबह अखबार में जब उड़ीसा की इस ख़बर पर नजर गई तो रूह काँप गई... महिलाओं ने अपनी ही चुनी हुई महिला सरपंच को नंगा कर दौड़ाया.. घटना उड़ीसा के बरगढ़ जिले के चिरौली गांव की है। सड़क निर्माण के काम का जायजा लेने गई महिला सरपंच से कुछ स्वयं सहायता समूह की महिला कार्यकर्ताओं से बहस हो गई.. और इन महिलाओं ने महिला सरपंच के कपड़े उतार दिए.. पीड़ित महिला ने किसी तरह एक घर में घुस कर अपनी लाज बचाई। इस ख़बर को पढ़ने से लगा की क्या हो गया है हमारे समाज को.. किस दिशा में जा रहा है हमारा समाज। कई पुरुषों को तो इस बात का दंभ है ही कि वो बेहतर है। और, यही वजह है कि महिलाओं पर पुरुषों के अत्याचार और अन्याय की बातें आम हो गई है। लेकिन, इस तरह से महिलाओं का ही महिला के साथ दुर्व्यवहार... ये किस बात को प्रदर्शित करता है... इस हालत में एक दूसरे का साथ देने के बजाय इस तरह की घटनाएँ बेहद शर्मनाक है।

2 comments:

ghughutibasuti said...

यह वैसे ही होता है जैसे एक पुरुष दूसरे पुरुष के साथ मारपीट करता है, जैसे एक शक्तिशाली (सीनियर छात्र)एक कमजोर(जूनियर छात्र)के साथ करता है,जैसे कुत्ते एक समूह बनाकर किसी नए कुत्ते को डराते काटते हैं । कुछ नया नहीं है । बस अन्याय गलत है चाहे वह स्त्री पर स्त्री करे या पुरुष या कोई भी किसी पर करे ।
घुघूती बासूती

समयचक्र said...

बहुत खूब हमारे शहर जबलपुर में इस युध्ध को झोटापकड़ कहते है . भाई आनंद आ गया . धन्यवाद.