Friday, December 5, 2008

मीडिया: क्या आतंकियों का अंजान मददगार....

पिछले एक हफ़्ते से नेशनल ज्योग्राफ़िक चैनल पर रात आठ बजे दुनिया में फैले आतंकवाद और आतंकवादियों पर बनाई गई विशेष डॉक्यूमेन्ट्री सीरिज़ दिखाई जा रही है। जिसमें कि रूस में हुआ चैचन्याई आतंकियों का थियेटर पर किया गया हमला, अमेरिकन आर्मी में अल-कायदा के एजेंट की कहानी के साथ-साथ नाइन इलेवन की घटना भी शामिल है। इस पूरी डॉक्यूमेन्ट्री सीरिज़ को देखने के बाद पता लगता है कि कैसे आतंकी अपना काम करते हैं और उसे फैलाते हैं। यहाँ फैलाव का मतलब आतंक के ख़ूनी फैलाव के साथ-साथ मानसिक फैलाव भी है। आतंकी अपनी आंतकी घटनाओं को बार-बार दुनिया को दिखाना चाहते हैं। जिससे कि उनके मन में उनका ख़ौफ़ बढ़ता जाए। सरकारें घबरा जाए। और, ये सब होता है मीडिया के ज़रिए। इसी सीरिज़ में दो फ़्रेन्च पत्रकारों के अपहरण को भी दिखाया गया। जोकि केवल और केवल इस लिए हुआ था कि वो पत्रकार मीडिया के उपकरणों(कैमरा, एडीट मशीन) को चलाना जानते थे। आतंकियों ने दोनों को बिना नुक्सान पहुंचाए छोड़ दिया था। क्यों... क्योंकि उनका मक़सद था मीडिया के ज़रिए लोगों तक पहुंचना उन्हें डराना। ऐसा ही हुआ था रूस में हुए थियेटर पर हमले में। आतंकियों ने मीडिया को अंदर आने दिया। उनसे बात की और ये कहा कि लोग हमसे डरे... एक अमेरिकी रक्षा विषेशज्ञ ने माना कि मीडिया कई बार अंजाने में ही आतंकियों के हाथ का खिलौना बन जाता है। वो आतंकियों की घटनाओं को बार-बार दिखाता हैं, महिमामंडित करता हैं और आतंकियों को एक तरह से सपोर्ट देता हैं। शायद भारत में भी यही हो रहा है। लगातार उस फ़ुटेज को दिखाते रहने से लोग डर रहे हैं। टेटर डिस्लेक्यिया नाम की नई बीमारी का शिकार हो रहे हैं। मुबंई का लाइव कवरेज सही हो सकता है, उसका विश्लेषण भी सही हो सकता है, लेकिन, क्या उस आतंकी घटना को बार-बार लगातार दिखाना सही हैं.....

2 comments:

Anonymous said...

AB HAMARI MEDAI ITNI RESPONSIBLE HOTI TO FIR BAAT KYA THI...IB MINISTRY KE BAAR BAAR NOTICE BHEJNE KE BAAD BHI TV CHANNELON NE HAMLE KI FOOTAGE DHIKHANI BAND NAHI KI... SAB TRP KE PICHE....

संजीव said...

सही कहा...आतंकी हमारे शरीर पर चाहे जितने ज़ख्म दे जाएं..हमारे अवचेतन पर किया गया उनका हमला अधिक खतरनाक होता है। क्या वज़ह है कि हमारे एतिहासिक विरासतों पर ही हमला होता है...क्या कारण है कि हमारे विकास के प्रतीकों पर ही आतंकी हमला बोलते हैं। क्यों हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर लहुलुहान होती है। हमारे एक मित्र कंधार विमान अपहरण के भुक्तभोगी होते हुए भी आतंकियों की सराहना करते हुए नहीं थकते थे कि उन्होंने केवल उन्हें ही पूरे विमान में सिगरेट पीने की इज़ाजत दी...मैं हैरान था। पूरा देश शर्म से झुका जा रहा था और ये शख्स न केवल अपनी जिंदगी भर बच जाने बल्कि सिगरेट पीने की इजाजत दिए जाने भर से आतंकियों की सराहना कर रहा था। जाहिर है, एक गिरा हुआ इंसान रहा होगा...अपने मयार से नीचे आकर सोच रहा होगा। फिर कभी मैं उससे नहीं मिला लेकिन एक बानगी के तौर पर ताउम्र उसे भूल नहीं पऊंगा।