Wednesday, June 10, 2009

भोपाल से मेरी पाती: में घर में रह कर जाड़ी ना हो जाऊं कहीं

भोपाल की सुस्त याने की आराम पसंद ज़िन्दगी आदत न लग जाये इस लिए अब रवानगी का वक़्त आ गया है. मेरी पोस्ट के शीर्षक में मैं की जगह में इस लिए की भोपाली में ही बोलते है और जाड़े का मतलब ठण्ड नहीं बल्कि मोटी होना है.
खैर, आज मैं मम्मी के साथ न्यू मार्केट तक गयी थी. दोनों एक घंटे में मिनी बस से आराम से घूम फिर कर आ गए. इतनी देर में तो मदर डेयरी से आनंद विहार मैं पहुँच पाती हूँ. खैर दिल्ली में रहने के अपने नुकसान है तो अपने फायदे भी है. दिल्ली ही वो जगह जहाँ जा कर मैं खुद को जान पाई ये समझ पाई की मैं क्या कर सकती हूँ. फिर भी भोपाल का सुकून दुनिया की सबसे कीमती चीज़ है. आज जब शाम को हम मार्केट जाने के लिए मिनी बस स्टाप गए तो वहां दो नंबर की बस आकर रुकी मम्मी उससे बोलने लगी की भैया हम रेड लाइट पर उतरेंगे अगर रोकोगे तो बोलो. कन्डक्टर बोलो हाँ जी हाँ अब जल्दी चढो आगे ट्रैफिक जाम है. मम्मी बोली भोपाल में ये कब से होने लगा? और आगे जाकर माता मंदिर पर बस को १५ मिनट तक रोक कर रखा गया. स्वाभाव के मुताबिक मम्मी ने बोलना शुरू किया की कहा है ट्रैफिक और अब क्यों रोकी है बस और ३ बस निकल गयी. फिर एक के बाद एक सब ने चिल्लाना शुरू कर दिया. लेकिन, ऐसी बातों का इन पर कोई असर नहीं होता. बस उनकी मर्ज़ी से ही चली हम फिर भी हम एक घंटे में वापस आ गए. बस हो या मार्केट हर जगह भोपाल की स्पेशल बोली सुन कर दिल खुश हो गया. मैं का में, जा रहे हो का जा रिये हो, कपड़ो को घडी करना और कमरे को जमाना. गंदे को घामढ़ बोलना और सुस्त को गेला बोलना. यहाँ की भाषा सुन कर मज़ा आ जाता है. भोपालियों को गुस्स्सा भी नहीं आता है, क्योंकि यहाँ गुस्सा आती जो है. यहाँ सबसे अच्छा है की मैं भी ऐसे ही बोल सकती हूँ और कोई मुझे टोकने वाला या सुधारने वाला नहीं है.



भोपाल के नंबर

जो भी पहली बार भोपाल आता है उसके लिए यहाँ की झील, हरियाली और शांति जहाँ लुभाती है वही नए भोपाल के नंबर वाले स्टाप बहुत चौकाते है. यहाँ एरिया का वर्गीकरण नंबर के आधार पर हुआ है. १० नंबर स्टाप यहाँ के युवाओं की पहली पसंद है. वैसे ही यहाँ ६ नंबर भी है, साढ़े ६ नंबर भी है और सवा ६ भी है. इतना ही नहीं २ नंबर स्टाप के साथ सेकंड स्टाप भी है. अस्पताल का नाम भी है १२५०, क्योकि उस एरिया में कुल १२५० सरकारी मकान जो है. भोपाल की खासियतों में शामिल ये सबसे यूनीक खासियत है.

4 comments:

शरद कोकास said...

मेडम ये तो नए भोपाल की बात हे हमारे पुराने भोपाल मे आके देखो पेसे थोडे लगते हें आप कहोगे मज़ा आरिया हे.को खाँ ?

दिनेशराय द्विवेदी said...

लगता है भोपाल अब नंबरी शहर होता जा रिया है।

श्यामल सुमन said...

अच्छा संस्मरण।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Anonymous said...

बहुत खूब.... हमारी भी शामें कभी अरेरा कालोनी १० नंबर स्टाप पर गुजरती थीं.

वैसे अभी कुछ दिन पहले ही भोपाल से लौटा हूँ...