Monday, January 3, 2011

कृप्या संयम बनाएं रखे...

मैं पिछले एक हफ्ते से ये चाह रही हूँ कि एक किसान विकास पत्र खरीद लूँ। दो- तीन बार पोस्ट ऑफिस के चक्कर भी काट चुकी हूँ। लेकिन, अभी तक सफल नहीं हो पाई हूँ। मुझे लगा था कि ये आसान काम होगा क्योंकि मैं तो अपना पैसा उन्हें दे रही हूँ तो उन्हें तो खुशी-खुशी लेना चाहिए। लेकिन, वो हर बार एक नई बात और एक कमी बता देते हैं और फिर मैं खाली हाथ वापस लौट आती हूँ। कई बार हम बुज़ुर्गों के मुंह से ये ताना सुनते हैं कि आजकल के बच्चे तो पैसा जोड़ने में यक़ीन ही नहीं करते हैं। अब जब मैंने सोचा कि मैं पैसे बचाऊँ तो देखिए ये हाल है। अब अगर ऐसे में मुझसे ये पैसे कहीं खर्च हो जाएं तो मेरी क्या ग़लती। वैसे मेरा अनुभव कई और बातों में भी ऐसा ही रहा हैं। नए फोन कनेक्शन के लिए पहले तो कंपनियां आगे हो होकर बुलाती हैं उकसाती हैं कि खरीद लो और फिर जहां आपने हाँ बोला पचा डालती हैं। वैसे मेरे ये बचत के पैसे वो हैं जिससे मैं डीडीए का फ़ॉर्म भरना चाह रही थी। लेकिन, मैं नहीं भर पाई। क्योंकि बैंकवाले मेरे रूम रेन्ट की डीड को मेरे दिल्ली में रहने का सबूत नहीं मानते या फिर मेरे ऑफ़िस की ओर से जारी पत्र जिसमें ये लिखा है कि वो दिल्ली में हमारे साथ काम कर रही हैं सबूत नहीं मानते। मेरे पिता अपने उम्र के 60वें साल में हैं और आज तक घर नहीं बना पाएं हैं मैंने सोचा कि मैं ही कोई तीर मार लूँ। लेकिन, अब मैं समझ सकती हूँ कि यहां फोन के कनेक्शन से लेकर घर खरीदना या फिर बस एक गैस का कनेक्शन ले पाना कितना मुश्किल है। मुझे आज भी याद हैं कि कैसे तंगहाली के दिनों में मेरा आइडिया पर भोरासा करना मुझे मंहगा पड़ा था। मुझे कई बार आइडिया की एक फ्रेन्चाइज़ी से फोन आया कि वो उसी नंबर को पोस्टपेड कर देंगे मात्र 500 रुपए में और दो दिन में। हर दूसरे दिन फोन री-चार्ज करवाना और ज़रूरत के वक़्त पैसे का ख़त्म हो जाना मुझे वैसे ही परेशान करता था। सो मैंने हाँ कर दी। मुझसे 500 रुपए ले लिए गए और एक हफ्ते तक कुछ नहीं हुआ। फिर फोन आया कि अब कुछ ही दिन में आपका नंबर पोस्टपेड हो जाएगा और साथ में था मेरा नया मोबाइल नंबर। मेरा माथा ठनक गया। मैंने उसी लड़के को फोन किया लेकिन, अब उसका नंबर ऑफ था और आइडियावाले मेरी समस्या से पल्ला झाड़ चुके थे। विज्ञापनों के माया जाल ने हमें कुछ ऐसा भ्रमित कर रखा है कि हमें सबकुछ बस बहुत ही आसान लगने लगा है लेकिन, ये विज्ञापन किसी मरीचिका से कम नहीं जैसे ही आप उसके पास जाएंगे आप वहां मौजूद दलदल में धंस जाएंगे। डीडीए फॉर्म हो या कोई पॉलिसी या किसी भी तरह की कोई सेवा अगर आप इससे जुड़ना चाहते हैं तो इतना ध्यान रखिए कि आपके पास बहुत सारा समय और उससे भी ज़्यादा संयम हो....

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