Thursday, September 27, 2012

दामाद या बहू नहीं, बस एक मटैरियल...


माँ की बेटी को समझाइश- अरे, लड़का गोरा होना ज़रूरी नहीं होता है। लड़कों की तो सीरत देखी जाती है, सूरत नहीं। कम कमाता है तो क्या तुम्हारी किस्मत से वो भी तरक्की कर लेगा। इन सब दिखावे कि बातों के बारे में सोचना ग़लत है। बहुत फिल्में देखती हो उसी का असर हो रहा है।
ऐसी ही कई समझाइशें माँ-बाप बेटे को भी समय-समय पर देते रहते हैं। कि लड़की सूरत नहीं व्यवहार देखो कि वो तुम्हारे साथ, हमारे साथ निभा पाएगी या नहीं। ज्यादा सुन्दर नहीं तो अच्छा ही है घर पर तो ध्यान देगी। ऐसे तो नहीं केवल खुद में ही लगी रहेगी और ना जाने क्या-क्या।
माता-पिता जब भी अपने बच्चे के लिए वर या वधु की तलाश करते है वो कैसे ज़िंदगी, आगे बेहतर तरीक़े से बढ़े इसे ध्यान में रखते हैं। रंग, रूप और शारीरिक बनावट सब बाद की बातें होती है। लेकिन, वहीं अगर बच्चे किसी को पंसद कर ले तो रंग और रूप मना करने के हथियार के रूप में सामने आते है। अगर अच्छा है तो उसे शक के दायरे में ले आना और अगर नहीं है तो उसे बेइज्ज़ती की हदों तक उतार लाना। आज के इस दौर में जहाँ अच्छी पढ़ाई, बेहतर कॉलेज, बढ़िया नौकरी, तीस के पहले गाड़ी और पैंतीस के पहले घर के दबावों तले युवा खुद को ही भूल चुके होते है। एक संवेदनशील मन का होना और पच्चीस घण्टे व्यस्त रहनेवाली ज़िंदगी से प्यार के लिए वक्त निकालना, असल मायनों में बहुत बड़ी बात है। जिस भावनात्मक डोर से हमारे माता-पिता हमसे जुड़े होते है उसी डोर में किसी और को बंधते देखना कइयों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। पढ़ाई-लिखाई, लाड़-प्यार सब कुछ जाति और समाज के नाम पर गायब। सामने रह जाता है केवल एक मटैरियल। या तो दामाद मटैरियल या फिर बहू मटैरियल। जैसे ही बच्चे ने अपनी पसंद सामने की वो एक दर्जी की तरह उसे नापने और जाँचने लगते है। कपड़े की क्वालिटी की तरह जाति की क्वालिटी मापी जाती है। अरे फलाँ जाति है नहीं-नहीं ये तो हमारे यहाँ नहीं चलेगी... अगर चलेगी भी तो समाज में तो झूठ ही बोलना पड़ेगा कि फलाँ प्रदेश में हमारी जाति के है। बिल्कुल वैसे ही जैसे पतले कपड़े में कोई अस्तर लगा रहा हो। रंग, रूप, कद सब कुछ नापा जाएगा। फिर तय होगा कि अगर हाँ करना ही है तो कैसीवाली... जैसे कपड़े का चूड़ीदार सिलेगा या पटियाला। ज़िंदगी में भागते रहते युवा के लिए प्यार को करना और फिर उसे माँ-बाप के मटैरियल से मैच कराना किसी संघर्ष से कम नहीं। जिन्हें लगता है लव मैरिज... ये तो सबसे आसान और फायदेमंद है... एक बार माँ-बाप के दामाद या बहू मटैरियल को जाँच को देख ले....

No comments: