Monday, January 7, 2013

जीना है या नहीं... खुद तय करें...


दिल्ली में हुई घटना ने लोगों को ठंड में पसीना-पसीना कर दिया। आज भी जब इस खबर का अपडेट न्यूज़ चैनल पर दिखाया जाता है तो उस डर को हवा मिल जाती है। सुना था कि साल 2012 में दुनिया खत्म हो जाएगी लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। हाँ ये ज़रूर महसूस हुआ कि इंसानियत ज़रूर खत्म हो गई। लेकिन, इंडिया गेट और जंतर-मंतर पर गुस्से में उबल रहे लोगों को देखकर महसूस होता है कि कुछ ही सही लेकिन, लोग तो है जो इस स्थिति को बदलना चाहते है। उन लोगों के लिए कठोर से कठोर सज़ा की मांग हो रही है। ऐसा इसलिए कि लोगों के मन में डर पैदा हो। लेकिन, इसके बाद से लगातार बलात्कार की खबरें निकल-निकलकर सामने आ रही है। वो भी विभत्स से विभत्स तरीक़ों से। पुलिस की निर्ममता की कहानियाँ सामने आ रही है। उसके लापरवाह रवैये पर सवाल उठाए जा रहे है। और, समाज में कुछ जाने-पहचाने और बुद्धिजीवी माने जानेवाले लोगों के बयान बह रहे है। महिलाओं को लक्ष्मण रेखा, दायरे और सीमित व्यवहार का ज्ञान बांटा जा रहा है। सबकुछ एक साथ चल रहा है। इंसान को इस सृष्टि का सबसे सुन्दर और समझदार प्राणी माना जाता है। दुनिया के निर्माण से अब तक न जाने कितनी ही प्रजातियाँ लुप्त हो गई। लेकिन, इंसान ही है जो ज़िंदा है और अपने वर्चस्व को बनाए हुए है। लेकिन, अब इंसान को इंसान से ही खतरा है। ऐसे में अच्छा, बुरा, विभत्स, सुन्दर... सब कुछ आपके सामने मौजूद है... आप क्या चाहते है ये आपको खुद तय करना है...  

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