Sunday, May 12, 2013

साला... माँ की याद...


आज मदर्स डे है... यानी मां के नाम एक दिन... हर दिन हर पल अपने बच्चों के लिए जीने वाली के लिए साल का एक दिन। खैर आज के दिन दीप्ति की एक पुराना लेख फिर से पोस्ट कर रहा हूं...


ठूंसी हुई बस में लटके हुए लोग...
अपने असंतुलन से संतुलन बनाते लोग अपनी-अपनी बातों में व्यस्त थे...तभी ड्राइवर ने ज़ोर का ब्रेक मारा और बस में भूंकप आ गया... लटके हुए लोग एक दूसरे पर गिरने लगे...
तभी एक लड़का चिल्लाया - "मम्मी... मेरा पैर..."
एक आवाज़ आई - "साला, कितने भी बड़े हो जाओ, जब फटती है तो माँ ही याद आती है..."
ठूंसी हुई बस के लटके हुए लोग अचानक हंसने लगे...

23-09-08

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