Wednesday, September 11, 2013

सोच का अकाल

इस देश में अब तक चौदह मुख्यमंत्री, एक प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति महिला रही है। आज़ादी के 66 साल के भीतर ये आंकड़ा बेहतरीन नहीं तो ठीक तो माना ही जा सकता है। इसके अलावा भी कई बड़े राजनीतिक पदों पर महिलाएं रही हैं और अब भी है। लोकसभा में विपक्ष की नेता, सबसे बड़ी पार्टी की अध्यक्ष और लोकसभा की अध्यक्ष ये सभी महिलाएं है। इस सबके बावजूद सोनी टेलीविज़न के नए कार्यक्रम की टैग लाइन है- जो घर चला सकती हैं, वो देश क्यों नहीं चला सकती है। कार्यक्रम के प्रोमो में एक लड़की के राजनेता बनने को इतना क्रांतिकारी बताया जा रहा है जिसकी कोई हद नहीं। आश्चर्य है कि कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करनेवाले से उसे लिखनेवाले तक सब दिमाग से इतने पैदल कैसे हो सकते हैं? एक महिला राजनेता पर कार्यक्रम बनाना एक बढ़िया आइडिया है। लेकिन, उसे इस तरह से बनाना कि महिला का राजनीति में आना क्रांति है और ऐसा तो कभी कुछ हुआ ही नहीं है चकित कर देनेवाला है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस कार्यक्रम में भी आगे चलकर लड़की की शादी हो जाएगी और वो अपने पति और ससुराल के प्रति अपनी हर ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए एक टांग पर खड़ी रहेगी। धारावाहिकों के शुरुआती प्रोमो को दिलचस्प और आम तौर पर चल रहे पारिवारिक ड्रामों से इतर बताकर चैनल हफ्ते-दस दिन तक तो टीआरपी पा सकता है लेकिन, दस दिन बाद यही चैनल उसी टीआरपी की दुहाई देकर सास-बहू  पर उतर आ जाते है। ऐसे में इस देश की बेटी नंदिनी में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। हाँ इस कार्यक्रम के लेखक के दिमागी स्तर पर आश्चर्य ज़रूर है। 

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