Thursday, November 21, 2013

भ से भदे

भ से भदे...
ज़ी टीवी पर शुरु हुए इस नए कार्यक्रम को देखा है आपने? ये कार्यक्रम देखने लायक है। जे डी मजेढिया और आतिश कपाड़िया वैसे भी कार्यक्रम बढ़िया ही बनाते हैं (भले ही सभी गुजराती पृष्ठभूमि पर आधारित हो)। शुरुआत में आए इसके प्रोमो से ये कार्यक्रम मुझे कुछ खास नहीं लगा था। भदे सरनेम को अनोखा बतानेवाले ज़ी टीवी को शायद ये मालूम ही नहीं है कि ये प्रचलित सरनेम है और मैं तो खैर इस सरनेमवाले कई लोगों को जानती भी हूँ। खैर, धारावाहिक का मुख्य बिन्दु मेरे लिए नया और बढ़िया है। भदे एक ऐसा असामान्य व्यक्ति है जो दूसरों से उनकी बुराई कुछ देर के लिए ले लेता है। ऐसा करके वो उन लोगों की मदद करता है और कोई ना कोई नई सीख दे जाता है। बुराइयों पर नज़र डालने का और उनके बारे में पड़ताल करने का ये अच्छा तरीका है। धारावाहिक के सभी कलाकार मंजे हुए और अनुभवी है। भदे बने देवेन भोजानी तो खैर खुद को कई बार साबित कर चुके हैं। बाक़ी सरिता जोशी और सुचिता त्रिवेदी भी बढ़िया कलाकार है। इस कार्यक्रम में भदे बने देवेन के बाद अगर कोई मेरा पसंदीदा है तो वो है अतुल परचुरे। मराठी भाषी इस कलाकार की क्षमता को अब तक बहुत कम निर्देशक ही समझ पाए। कॉमेडी परोसते कुछ कार्यक्रमों में आए अतुल को व्यंग और अदाकारी की अच्छी समझ है। फिलहाल हर शनिवार और रविवार को रात आठ बजे आनेवाले इस धारावाहिक को मैं देख रही हूँ। अगर मौका मिले तो आप भी देखें...    

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