रक्तदान, किसी की जान बचाता है रक्तदान को अपने कर्तव्य में शामिल करें
विश्व रक्तदान दिवस विश्व के लगभग सभी देशों में हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है . विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है .वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सुरक्षित जीवन के लिये किये जाने वाले रक्तदान के लिये रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिये मनाया जाता है. देश के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री , डॉ.हर्षवर्धन जो हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन में कार्यकारिणी परिषद के अध्यक्ष नामांकित हुए हैं उन्होंने विश्व रक्तदान दिवस परअपने संदेश में कहा है कि -" रक्तदान किसी की जान बचाता है अत: रक्तदान को हर नागरिक को अपने कर्तव्य में शामिल करना चाहिए और इसके लिये सभी को प्ररित करना चाहिए.
कार्ल लैंडस्टाईन की स्मृति में मनाया जाता है, विश्व रक्तदान दिवस
विश्व रक्तदान दिवस , शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्तप्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है. वर्ष 1868 में 14 जून को ही महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था, उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह में वर्गीकरण किया.इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया.इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान अभियान की शुरूआत की, जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी देशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की थी. इस पहल का मुख्य उद्देश्य था, कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसे पैसे देकर रक्त न खरीदना पड़े। और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अभियान के रुप में आरम्भ किया है.हालाँकि कई देशों में अब भी रक्तदान के लिए पैसों का लेनदेन होता है,जिसमें भारत भी शामिल है .लेकिन फिर भी रक्तदान को लेकर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए कदम भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो रहें हैं .
जीवन रक्षा के लिये महत्वपूर्ण है सुरक्षित रक्त का होना
सुरक्षित रक्त की जरूरत हर जगह है. इलाज के दौरान अक्सर सुरक्षित रक्त महत्वपूर्ण होता है. यह जीवन को बचाने वाली चिकित्सीय जरूरतों में से एक है. सभी प्रकार की आपात स्थितियों -प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, सशस्त्र संघर्ष आदि के दौरान घायलों के इलाज के लिए रक्त अहम है और मातृ और नवजात शिशु की देखभाल में रक्त की एक आवश्यक, जीवन रक्षक भूमिका है. रक्त के इसी महत्व और रक्तदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए और जागरुकता के लिए विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है.
भारत में रक्त की कुल ज़रुरत की तीन चौथाई मात्रा ही उपलब्ध होती है
एक शोध के अनुसार भारत में रक्त की आवश्यकता का केवल पिचहत्तर प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाता है, जबकि विश्व के अन्य देशों में ये आँकड़े अधिक हैं नेपाल में रक्त की नब्बे प्रतिशत की उपलब्धता है. सबसे अधिक पिंचयानवे प्रतिशत रक्त की उपलब्धता थाईलैंड में है और इंडोनेशिया में रक्त की उपलब्धता सतहत्तर प्रतिशत है जिन देशों में रक्त की उपलब्धता भारत से कम है उनमें श्रीलंका और म्यांमार शामिल हैं इन दोनों देशों में रक्त की उपलब्धता साठ-साठ प्रतिशत है. भारत अन्य देशों के मुकाबले रक्त की उपलब्धता के औसत में भले ही कम हो मगर देश का पंजाब प्रांत रक्तदान के लेकर काफी जागरूक और सक्रिय है .भटिंडा में दस हजार से भी अधिक रक्तदाता स्वैच्छिक एवं नियमित रक्तदान करते हैं, साथ ही यहां के ब्लड बैंकों से आसपास के क्षेत्रों- फरीदकोट, पटियाला और समीप के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लड सप्लाई किया जाता है .रेडक्रॉस के ब्लड बैंक के लिये भी पिच्यासी प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है जिसे अब पिंच्यानवे प्रतिशत करने के लिए संस्था सक्रिय है. भारत के शहरी इलाकों में रक्तदान के अभियान में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है और अपने जन्मदिन पर रक्तदान की प्रवृत्ति युवा
वर्ग में बढ़ती जा रही है और विभिन्न राजनैतिक दलों के युवा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने दिवंगत नेताओं की स्मृति में सामूहिक रक्तदान की प्रवृत्ति भी इस दिशा में एक अच्छा कदम है.
प्रसंगवश :
अनलॉक की स्थिति में वृहद रक्तदान शिविर जरुरी
कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में सरकारी एवम् निजी अस्पतालों और अधिकांश मेडीकल कालेज मे संग्रहित रक्त की मात्रा में भारी कमी दर्ज हो रही है.
मेडिकल कॉलेज हो या जिला अस्पताल दोनों के ही ब्लड बैंक में केवल आपात ईकाई में ही रक्त बचा है उस संरक्षित रक्त की मात्रा भी लगातार घट रही है.
इस कमी का सबसे बड़ा खतरा उच्च जोखिम वाले वाले गँभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों को है. कोरोना के चलते लॉकडाउन में स्वैच्छिक रक्तदाता रक्तदाता के लिये नहीं आ पाये और अस्पतालों में जो नियमित अंतराल से रक्तदान शिविर लगते थे, वो क्रम भी टूट गया. इधर अस्पताल और मेडीकल कालेज के प्रमुख ने लॉकडाउन के बड़े क्षेत्र से हटने और -" अनलॉक " की स्थिति बनने पर जनता से अपील की है कि मरीजों की जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में रक्तदान करने के लिए आएं। जिस कक्ष में रक्तदाता रक्तदान करेंगे वहाँ पर लगातार सैनिटाइजेशन के साथ-साथ कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन होगा, ऐसे में किसी भी रक्तदाता को घबराने की जरूरत नहीं है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने अनलॉक की गाइडलाइन
में सभी चिकित्सा सँस्थानों. समाजसेवी सँस्थानों, चैरिटेबल ट्रस्ट, धर्मार्थ सँस्थानों , सर्विस क्लबों और फाउंडेशन्स से वृहद रक्तदान शिविरों का आयोजन
कोविड-19 के सभी प्रावधानों के अनुरुप करने का आग्रह किया है. लॉकडाउन के दौरान रक्तदान न होने की कमी की भरपाई के लिये यह आवश्यक है.
रक्तदाता के लिये भी रक्तदान एक लाभकारी निर्णय है
रक्तदान किसी अन्य जरुरतमंद की जीवन रक्षा करिये तो फायदेमंद है ही स्वयं रक्तदाता को भी रक्तदान से कई फायदे हैं- (एक) इससे रक्तदाता कदिल की सेहत सुधरती है रक्तदान से हार्ट अटैक की आशंका कम होती है. रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है. (दो) रक्तदान करने से रक्तदाता का वज़न कम होता है .वस्तुत: रक्तदान वज़न कम करने में भी आपकी मदद कर सकता है, इसलिए साल में कम से कम दो बार रक्तदान करना चाहिए. (तीन) रक्तदान से रक्तदाता के शरीर की कैलोरी घटती हैं , डेढ़ पाव खून का दान करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज़ कम होती हैं.(चार) रक्तदान से रक्तदाता के लिवर की सेहत में सुधार होता है और खून डोनेट करने से लिवर से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं. शरीर में ज़्यादा आयरन होने का दबाव लिवर पर पड़ता है. वहीं, रक्तदान से आयरन की मात्रा संतुलित हो जाती है.और (पाँच) रक्तदान से रक्तदाता में कैंसर का खतरा कम होता है .आयरन की मात्रा को संतुलित करने से लिवर स्वस्थ होता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है
रक्तदान को लेकर प्रचलित भ्राँतियों से बच कर रहना जरुरी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस संघ व रेड क्रीसेंट समाज - " विश्व रक्तदान दिवस " पर एक जनजागृति अभियान रक्तदान से जुड़ी भ्राँतियों को
दूर करने के मंतव्य से भी चलाता है.कई लोग स्वस्थ होते हुए भी रक्तदान करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में इसको लेकर एक डर होता है .रक्तदान (ब्लड डोनेशन) से जुड़ीं भ्रांतियों को दूर करने के लिये यह जानना जरुरी है कि -
# 1 - एक औसत स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में दस यूनिट यानी पाँच से छ:लीटर रक्त होता है.
# 2 - रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है.
# 3 - कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटिल व्यक्ति को सौ यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है.
# 4 - एक बार रक्तदान से आप तीन लोगों की जिंदगी बचा सकते हैंं.
# 5 भारत में सिर्फ साात प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप -" ओ- नेगेटिव " है.
# 6 -"O नेगेटिव " ब्लड ग्रुप वाला रक्तदाता यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है.
# 7 - इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे O नेगेटिव ब्लड दिया जा सकता है.
# 8 - ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती हैंं .
# 9 - कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं.
# 10 - रक्तदाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं ्
# 11 - पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं.
# 12 - हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं.
# 13 -अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें .
यदि रक्तदाता इन भ्रांतियों का ध्यान रखें तो वे बिना व्यवधान सुरक्षित रक्तदान कर सकते हैं.
राजा दुबे
विश्व रक्तदान दिवस विश्व के लगभग सभी देशों में हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है . विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है .वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सुरक्षित जीवन के लिये किये जाने वाले रक्तदान के लिये रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिये मनाया जाता है. देश के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री , डॉ.हर्षवर्धन जो हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन में कार्यकारिणी परिषद के अध्यक्ष नामांकित हुए हैं उन्होंने विश्व रक्तदान दिवस परअपने संदेश में कहा है कि -" रक्तदान किसी की जान बचाता है अत: रक्तदान को हर नागरिक को अपने कर्तव्य में शामिल करना चाहिए और इसके लिये सभी को प्ररित करना चाहिए.
कार्ल लैंडस्टाईन की स्मृति में मनाया जाता है, विश्व रक्तदान दिवस
विश्व रक्तदान दिवस , शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्तप्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है. वर्ष 1868 में 14 जून को ही महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था, उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह में वर्गीकरण किया.इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया.इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान अभियान की शुरूआत की, जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी देशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की थी. इस पहल का मुख्य उद्देश्य था, कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसे पैसे देकर रक्त न खरीदना पड़े। और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अभियान के रुप में आरम्भ किया है.हालाँकि कई देशों में अब भी रक्तदान के लिए पैसों का लेनदेन होता है,जिसमें भारत भी शामिल है .लेकिन फिर भी रक्तदान को लेकर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए कदम भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो रहें हैं .
जीवन रक्षा के लिये महत्वपूर्ण है सुरक्षित रक्त का होना
सुरक्षित रक्त की जरूरत हर जगह है. इलाज के दौरान अक्सर सुरक्षित रक्त महत्वपूर्ण होता है. यह जीवन को बचाने वाली चिकित्सीय जरूरतों में से एक है. सभी प्रकार की आपात स्थितियों -प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, सशस्त्र संघर्ष आदि के दौरान घायलों के इलाज के लिए रक्त अहम है और मातृ और नवजात शिशु की देखभाल में रक्त की एक आवश्यक, जीवन रक्षक भूमिका है. रक्त के इसी महत्व और रक्तदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए और जागरुकता के लिए विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है.
भारत में रक्त की कुल ज़रुरत की तीन चौथाई मात्रा ही उपलब्ध होती है
एक शोध के अनुसार भारत में रक्त की आवश्यकता का केवल पिचहत्तर प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाता है, जबकि विश्व के अन्य देशों में ये आँकड़े अधिक हैं नेपाल में रक्त की नब्बे प्रतिशत की उपलब्धता है. सबसे अधिक पिंचयानवे प्रतिशत रक्त की उपलब्धता थाईलैंड में है और इंडोनेशिया में रक्त की उपलब्धता सतहत्तर प्रतिशत है जिन देशों में रक्त की उपलब्धता भारत से कम है उनमें श्रीलंका और म्यांमार शामिल हैं इन दोनों देशों में रक्त की उपलब्धता साठ-साठ प्रतिशत है. भारत अन्य देशों के मुकाबले रक्त की उपलब्धता के औसत में भले ही कम हो मगर देश का पंजाब प्रांत रक्तदान के लेकर काफी जागरूक और सक्रिय है .भटिंडा में दस हजार से भी अधिक रक्तदाता स्वैच्छिक एवं नियमित रक्तदान करते हैं, साथ ही यहां के ब्लड बैंकों से आसपास के क्षेत्रों- फरीदकोट, पटियाला और समीप के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लड सप्लाई किया जाता है .रेडक्रॉस के ब्लड बैंक के लिये भी पिच्यासी प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है जिसे अब पिंच्यानवे प्रतिशत करने के लिए संस्था सक्रिय है. भारत के शहरी इलाकों में रक्तदान के अभियान में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है और अपने जन्मदिन पर रक्तदान की प्रवृत्ति युवा
वर्ग में बढ़ती जा रही है और विभिन्न राजनैतिक दलों के युवा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने दिवंगत नेताओं की स्मृति में सामूहिक रक्तदान की प्रवृत्ति भी इस दिशा में एक अच्छा कदम है.
प्रसंगवश :
अनलॉक की स्थिति में वृहद रक्तदान शिविर जरुरी
कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में सरकारी एवम् निजी अस्पतालों और अधिकांश मेडीकल कालेज मे संग्रहित रक्त की मात्रा में भारी कमी दर्ज हो रही है.
मेडिकल कॉलेज हो या जिला अस्पताल दोनों के ही ब्लड बैंक में केवल आपात ईकाई में ही रक्त बचा है उस संरक्षित रक्त की मात्रा भी लगातार घट रही है.
इस कमी का सबसे बड़ा खतरा उच्च जोखिम वाले वाले गँभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों को है. कोरोना के चलते लॉकडाउन में स्वैच्छिक रक्तदाता रक्तदाता के लिये नहीं आ पाये और अस्पतालों में जो नियमित अंतराल से रक्तदान शिविर लगते थे, वो क्रम भी टूट गया. इधर अस्पताल और मेडीकल कालेज के प्रमुख ने लॉकडाउन के बड़े क्षेत्र से हटने और -" अनलॉक " की स्थिति बनने पर जनता से अपील की है कि मरीजों की जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में रक्तदान करने के लिए आएं। जिस कक्ष में रक्तदाता रक्तदान करेंगे वहाँ पर लगातार सैनिटाइजेशन के साथ-साथ कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन होगा, ऐसे में किसी भी रक्तदाता को घबराने की जरूरत नहीं है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने अनलॉक की गाइडलाइन
में सभी चिकित्सा सँस्थानों. समाजसेवी सँस्थानों, चैरिटेबल ट्रस्ट, धर्मार्थ सँस्थानों , सर्विस क्लबों और फाउंडेशन्स से वृहद रक्तदान शिविरों का आयोजन
कोविड-19 के सभी प्रावधानों के अनुरुप करने का आग्रह किया है. लॉकडाउन के दौरान रक्तदान न होने की कमी की भरपाई के लिये यह आवश्यक है.
रक्तदाता के लिये भी रक्तदान एक लाभकारी निर्णय है
रक्तदान किसी अन्य जरुरतमंद की जीवन रक्षा करिये तो फायदेमंद है ही स्वयं रक्तदाता को भी रक्तदान से कई फायदे हैं- (एक) इससे रक्तदाता कदिल की सेहत सुधरती है रक्तदान से हार्ट अटैक की आशंका कम होती है. रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है. (दो) रक्तदान करने से रक्तदाता का वज़न कम होता है .वस्तुत: रक्तदान वज़न कम करने में भी आपकी मदद कर सकता है, इसलिए साल में कम से कम दो बार रक्तदान करना चाहिए. (तीन) रक्तदान से रक्तदाता के शरीर की कैलोरी घटती हैं , डेढ़ पाव खून का दान करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज़ कम होती हैं.(चार) रक्तदान से रक्तदाता के लिवर की सेहत में सुधार होता है और खून डोनेट करने से लिवर से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं. शरीर में ज़्यादा आयरन होने का दबाव लिवर पर पड़ता है. वहीं, रक्तदान से आयरन की मात्रा संतुलित हो जाती है.और (पाँच) रक्तदान से रक्तदाता में कैंसर का खतरा कम होता है .आयरन की मात्रा को संतुलित करने से लिवर स्वस्थ होता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है
रक्तदान को लेकर प्रचलित भ्राँतियों से बच कर रहना जरुरी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस संघ व रेड क्रीसेंट समाज - " विश्व रक्तदान दिवस " पर एक जनजागृति अभियान रक्तदान से जुड़ी भ्राँतियों को
दूर करने के मंतव्य से भी चलाता है.कई लोग स्वस्थ होते हुए भी रक्तदान करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में इसको लेकर एक डर होता है .रक्तदान (ब्लड डोनेशन) से जुड़ीं भ्रांतियों को दूर करने के लिये यह जानना जरुरी है कि -
# 1 - एक औसत स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में दस यूनिट यानी पाँच से छ:लीटर रक्त होता है.
# 2 - रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है.
# 3 - कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटिल व्यक्ति को सौ यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है.
# 4 - एक बार रक्तदान से आप तीन लोगों की जिंदगी बचा सकते हैंं.
# 5 भारत में सिर्फ साात प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप -" ओ- नेगेटिव " है.
# 6 -"O नेगेटिव " ब्लड ग्रुप वाला रक्तदाता यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है.
# 7 - इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे O नेगेटिव ब्लड दिया जा सकता है.
# 8 - ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती हैंं .
# 9 - कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं.
# 10 - रक्तदाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं ्
# 11 - पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं.
# 12 - हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं.
# 13 -अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें .
यदि रक्तदाता इन भ्रांतियों का ध्यान रखें तो वे बिना व्यवधान सुरक्षित रक्तदान कर सकते हैं.
राजा दुबे
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