Friday, July 10, 2020

जनसांख्यिकीय रुझानों पर विमर्श इस दिन की प्राथमिकता हो

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ,अंटोनियो गुटेरेस ने पिछले वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस पर टिकाऊ विकास के लिए 2030 के संकल्पों की कार्यसूची में उल्लेखित एक लक्ष्य - " स्वस्थ ग्रह पर सभी के लिए बेहतर भविष्य " को  विश्व के उन्नयन का ब्ल्यूप्रिंट निरुपित किया था. उन्होंने कहा था विश्व जनसंख्या दिवस पर हम इस बात को मान्यता देते हैं कि यह अभियान जनसंख्या वृद्धि , वृद्ध होती जनसंख्या ,प्रवासी जनसंख्या और शहरीकरण सहित अनेक जनसांख्यिकीय रुझानों से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है.इब कथन के एक साल बाद वर्ष 2020 के इस विश्व जनसंख्या दिवस पर इन्हीं रुझानों और उससे जुड़े निष्कर्षों पर चर्चा करेंगे ताकि जनसंख्या अभिवृद्धि और उससे सम्बद्ध विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर सकें. वस्तुत: विश्व जनसंख्या दिवस पर इन्हीं जनसांख्यिकीय रुझानों पर विमर्श हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या अभिवृद्धि के कारक और जनसंख्याजन विभिन्न सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विमर्श भी बेहद जरुरी है.विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन यह वृद्धि बहुत असमान है जो चिंता का विषय है. विश्व के सबसे कम विकसित देशों के लिए टिकाऊ विकास की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन के प्रति गैर संवेदनशीलता है . दूसरे देशों में अन्य प्रकार की समस्याएँ हैं .कुछ देशों में जनसंख्या में वृद्धों की संख्या बढ़ रही है। .इसके अलावा उन देशों को वृद्ध होते लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करने और पर्याप्त सामाजिक संरक्षण प्रदान करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. विश्व के कई देश इन समय कोविद-19 की महामारी के संक्रमण से गुजर रहें हैं. कोरोना वायरस
के इस संक्रमण में वृद्ध मुख्य रुप से पैंसठ वर्ष से अधिक आयुवर्ग के वृद्ध सर्वोच्च जोखिम में माने जा रहे हैं. ऐसे में वृद्धों की साजिश सम्हाल को समुचित
प्राथमिकता दिये जाने जैसे कारक पर मी विमर्श अब प्रासंगिक होगा.

ग्यारह जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है - विश्व जनसंख्या दिवस ? 

समूचे विश्व में -" विश्व जनसंख्या दिवस " 11 जुलाई को मनाया जाता है . हमारे देश में और समूचे विश्व में लगातार बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए जनसंख्या के नियंत्रण के प्रति जागरुकता फैलाने और जनसंख्या की अतिशय अभिवृद्धि के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालने के लिये यह आयोजन वैश्विक स्तर पर होता है. इस तिथि को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत  वर्ष 1989 में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुपालन में हुई थी. दरअसल 11 जुलाई 1987 तक वैश्विक जनसंख्या का आंकड़ा पाँच अरब के भी पार हो चुका था, जिसे देखते हुए वैश्व‍िक हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाने और जारी रखने का निर्णय लिया गया था. वास्तव में विश्व जनसंख्या दिवस को मनाना तभी सार्थक हो सकता है जब हम बढ़ती जनसंख्या के प्रति जागरूक रवैया अपनाएं और इसके विभिन्न पहलुओं व हितों पर ध्यान देते हुए जनसंख्या विस्फोट में कमी लाने का प्रयास करें.जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न कारणों पर विचार कर इनके लिए उपायों पर ध्यान देना भी बेहद जरूरी है.विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरुकता फैलाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कि‍या जाता है, जिसमें सोशल मीडिया, विभिन्न समाजिक कार्यक्रमों व सभाओं का संचालन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक और अन्य कई तरीके शामिल हैं.लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही है, जनसंख्या वृद्ध‍ि के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालना और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना.

जनसंख्या से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प तथ्य

इस विश्व जनसंख्या दिवस पर आईये जनसंख्या से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प तथ्यों के बारे में जाने -
#  चीन और भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं। इन दोनों देशों में पूरी दुनिया की आबादी के तीस फीसदी से भी ज्यादा लोग रहते हैं.

#  आज के दौर में सबसे तेज गति से जनसंख्या अभिवृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है .जनसंख्या के मामले में नाइजीरिया भले ही अभी विश्व में सातवें  स्थान पर हो, लेकिन 2050 से पहले यह अमेरिका को पीछे छोड़ कर तीसरे स्थान पर पहुँच सकता है.

#  साल  2010 से 2015 के बीच दुनिया की छियालिस फीसदी आबादी 83 देशों में रह रही है जहाँ प्रजनन स्तर 2.1 की सीमा से नीचे था.

# दुनिया भर में बुजुर्गों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्ष 2015 में बुजुर्गों से कहीं ज्यादा संख्या में युवा थे. वर्ष 2017 में कम युवा और अधिक बुजुर्ग लोग हैं वर्ष 2050 तक बुजुर्गों की संख्या और भी ज्यादा हो जायेगी.


जागरुकता का ध्येय परिवार नियोजन का संकल्प दिलवाना हो

जनसंख्या वृद्धि के प्रति जागरूकता मानव समाज की नई पीढ़ियों को बेहतर जीवन देने का संदेश देती है .बच्चों को भविष्य में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और वातावरण जैसी आवश्यक सुविधाएँ  मिलती रहें इसके लिए छोटे परिवार की महती आवश्यकता निरन्तर बढ़ती जा रही है . प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन कर मानव समाज को सर्वश्रेष्ठ बनाए रखने और हर इंसान के भीतर इन्सानियत को बरकरार रखने के लिए यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि 'विश्व जनसंख्या दिवस' की महत्ता को समझा जाए.इस विशेष दिन को हर साल परिवार नियोजन का संकल्प लेने के दिन के रूप में याद किया जाने लगा है.हर राष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं. विकासशील देश अपनी आबादी और जनसंख्या के बीच तालमेल कायम करने को सचेष्ट हैं तो विकसित देश पलायन और रोजगार की चाह में बाहर से आकर रहने वाले शरणार्थियों की वजह से परेशान हैं.विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य  जनसंख्या से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है और परिवार नियोजन के अलावा लिंग समानता , गरीबी , मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों के महत्व को लेकर भी जागरुकता बढ़ाना है.

जनसंख्या वृद्धि के कारणों की व्यापक पड़ताल भी जरुरी है

जब हम जनसंख्या पर नियंत्रण की बात करते हैं तब हमारी कोशिश जनसंख्या वृद्धि के कारणों की पड़ताल की भी होनी चाहिए और इस प्रयोजन से विश्व जनसंख्या दिवस सबसे उपयुक्त अवसर होता है.इस दिन जनसंख्या अभिवृद्धि के हरसम्भव कारणों की चर्चा होनी चाहिए.इन कारणों की विवेचना करें तो आज भी हमारे देश में कई ऐसे पिछड़े इलाके व गाँव हैं, जहां बाल विवाह की कुरीति प्रचलित है जिसके कारण कम उम्र से ही बच्चे पैदा होने शुरू हो जाते हैं, फलस्वरूप अधिक बच्चे पैदा होते हैं. शिक्षा का अभाव जनसंख्या वृद्धि की एक बड़ी वजह है और रूढ़िवादी सोच और पुरुष-प्रधान समाज में लड़के की चाह में लोग कई बच्चे पैदा कर लेते हैं, यह भी एक प्रमुख कारण है.आज भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां बड़े-बुजुर्गों की ऐसी सोच होती है कि यदि उनकी पुश्तैनी धन-संपत्ति अधिक है, तो उसे आगे बढ़ाने और संभालने के लिए ज्यादा लड़के पैदा किए जाएं. कई मामलों में शादीशुदा जोड़ों पर बच्चे पैदा करने का दबाव तक बनाया जाता है. शिक्षित और मध्यमवर्गीय परिवार की यह सोच कि 'अधिक बच्चे विशेष तौर पर लड़के यानी उनके बुढ़ापे का सहारा होते हैं यह भी जनसंख्या अभिवृद्धि का एक कारण है.परिवार नियोजन के महत्व को समझाए बगैर ही युवाओं की शादी कर देना भी एक मुख्य कारण है .इस तरह की बातों पर आज भी घर-परिवारों में चर्चा करना गलत समझा जाता है और बिना अपने युवा बच्चों को संबंधों और उनके परिणामों के बारे में बताए बगैर ही सीधे उनकी शादी कर दी जाती है.ऐसे में कई मामलों में लोग अज्ञानतावश ही बच्चे पैदा कर बैठते हैं। आज भी लड़कियों को गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी शादी के पहले नहीं दी जाती है और कई मामलों में शादी के बाद भी कैसे अनचाहे गर्भ से बचें, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं होती है। गरीबी भी जनसंख्या बढ़ने का मूल कारण है.हमारे देश में बहुत से बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.रोजगार की समस्या, यह साफतौर पर बताता है कि आपके  बच्चों के और देश के विकास में ज्यादा जनसंख्या रुकावट बनती है।

काहिरा सम्मेलन के लक्ष्यों को पाना है :

जनसंख्या के रुझानों को संभालने के साथ-साथ हमें जनसंख्या, विकास और व्यक्तिगत कल्याण के बीच के संबंधों का भी विश्लेषण करना होगा.छब्बीस वर्ष पूर्व जनसंख्या और विकास पर काहिरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व नेताओं ने सबसे पहले जनसंख्या, विकास और प्रजनन अधिकारों सहित मानवाधिकारों के बीच के संबंधों को रेखांकित किया था जिसमें इस बांत को भी स्वीकार किया गया कि स्त्री-पुरुष समानता न सिर्फ सही दिशा में उठाया जाने वाला कदम है बल्कि टिकाऊ विकास और सभी के कल्याण के लिए भी सबसे भरोसेमंद मार्ग है।आईये इस बार भी विश्व जनसंख्या दिवस पर काहिरा सम्मेेेेलन के अधूरे लक्ष्यों को पूरा करें.

राजा दुबे

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