Thursday, August 6, 2020

एक युग का अवसान है इब्राहिम अल्काजी का जाना- राजा दुबे

भारतीय रंगमंच के शिखर पुरुष इब्राहिम अल्काजी का मंगलवार की शाम नई दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया .वह 95 वर्ष के थे और उनके परिवार में एक बेटा फैजल अल्काजी और बेटी अमाल अल्लाना है जो खुद मशहूर रंगकर्मी है. इब्राहिम अल्काजी का अवसान वस्तुत: एक युग का अवसान है. उनकी पहचान एक रंगकर्मी से बढ़कर एक संस्कृतिकर्मी और कला के पारखी सँग्राहक भी थे.



राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक एवं पद्मभूषण से सम्मानित इब्राहिम अल्काजी देश के गिने चुने रंगकर्मी में से थे जिन्होंने आजादी के बाद भारतीय रंगमंच को एक नयी दिशा दी. पुणे महाराष्ट्र में 18 अक्टूबर को जन्मे  अल्काजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उनकी ख्याति केवल रंगकर्मी के रुप में ही नहीं बल्कि एक प्रख्यात फोटोग्राफर, चित्रकार और और कला वस्तुओं के अद्भुत संग्रहकर्ता के रुप में भी थी. धर्मवीर भारती के ,"अंधा युग ", मोहन राकेश के "आषाढ़ का एक दिन" और गिरीश कर्नाड के "तुगलक" जैसे नाटकों के यादगार निर्देशन के लिए नाटक जगत में मशहूर अल्काजी ने लंदन के रॉयल एकेडमी ऑफ लंदन से शिक्षा प्राप्त की थी.इससे पूर्व उन्होंने पुणे के सेंट विंसेंट हाई स्कूल तथा मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी.वह अरबी अंग्रेजी मराठी और गुजराती भाषाओं के जानकार थे।

रंगकर्म के क्षेत्र में उनसे अधिक तो क्या उन जैसा जानकार भी  बिरला ही कोई था वे विश्व की सभी रंग परंपराओं से अवगत थे और उनके उदाहरण भी वही से आते थे . वे बराबर इस बात पर जोर देते थे कि आधुनिक समय में कला वह स्थान है जहाँ देश की सीमायें धुँधली हो जाती है और कला की कोई भी प्रगति किसी देश की प्रगति न होकर समूची मानवता की प्रगति होती है और इसीसे आधुनिक समय की माँग है कि एक अंतरराष्ट्रीय शैली विकसित हो जो एक ही समय में उतनी ही देशी हो जितना अंतराष्ट्रीय. यह बात अल्काजी ने वर्ष 1981 में कही थी जो इस बात को साबित करता है कि कला की सार्वभौमिकता का उनका विचार चार दशक पहले भी कितना प्रासंगिक था.

अल्काजी ने ओम शिवपुरी, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, विजय मेहता, मनोहर सिंह, उत्तरा बावरकर, रोहिणी हट्टंगड़ी जैसे कलाकारों को प्रशिक्षित किया था.आपको वर्ष 1962 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और बाद में उन्हें अकादमी का सर्वोच्च सम्मान भी प्रदान किया गया था।

इब्राहिम अल्काजी   की मानसिक चेतना का गठन और  विस्तार सार्वभौमिक था जिसमें संकीर्णता की जगह नहीं थी. ऐसा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से, प्रशिक्षण से एवं संगत से पता चलता है. वे अरबी मां बाप के संतान थे जिसके घर में सिर्फ़ अरबी ही बोलने का नियम था लेकिन जिनकी मां उर्दू, हिंदी, मराठी, गुजराती, पिता अरबी और टूटी फूटी हिंदुस्तानी जानते थे. बचपन और किशोरावस्था बंबई के विविधतापूर्ण सामाजिक सरंचना में गुजरा था और वे खुद स्वीकार करते थे कि उनके बनने में विभिन्न अस्मिताओं का योगदान रहा है.

उनके अवसान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन कि अल्काजी ने कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था , उनके निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है और मैं दुख की घड़ी में उनके परिजन के साथ हूँ ,ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. यह व्यक्तव्य  बताता है कि वे देश के गणमान्य ही नहीं सर्वमान्य कलाकार थे.


 राजा दुबे

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