Tuesday, November 10, 2020

विश्वशांति की कामना और विकास के संकल्प के साथ मनाते है यह दिवस- राजा दुबे



विश्वशांति की कामना और विश्व के समग्र विकास के संकल्प के साथ समूचा विश्व प्रतिवर्ष दस नवम्बर को
-"विश्व विज्ञान दिवस" मनाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य समाज में विज्ञान की भूमिका को रेखांकित करना और इसके द्वारा जनसामान्य के जीवन में विज्ञान के प्रभाव को प्रदर्शित करना है.विश्व विज्ञान दिवस के आयोजन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक और साँस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा की गई थी.शांति एवं विकास कार्यों में विज्ञान के योगदान को पारिभाषित करने और इस सन्दर्भ में विज्ञान के महत्व को दर्शाने के लिये इस दिन गंभीर विचार-विमर्श होता है.वर्ष 1999 में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में दस नवम्बर को संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद और यूनेस्को द्वारा विज्ञान पर विश्व सम्मेलन का आयोजन किया गया था विश्व विज्ञान दिवस उसी सम्मेलन के अनुसरण में मनाया जाता है.यूनेस्को द्वारा इस दिवस की स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी और वर्ष 2002 से प्रतिवर्ष विश्व के लगभग सभी देशों में विज्ञान के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इसे  मनाया जाता है. विश्व में विज्ञान के माध्यम से मानव जाति के कल्याण का सूत्रपात किये जाने के लिये यह यूनेस्को का एक अनूठा प्रयास था जिसे विश्व के लगभग सभी देशों का समर्थन मिला. इस दिन विज्ञान के सृजनात्मक पक्ष को अपनाने का संकल्प लिया जाता है जिससे मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो.

सतत विकास में विज्ञान की भूमिका की पड़ताल की कोशिश होती है इस दिन

विश्व विज्ञान दिवस विश्व के शांतिपूर्णऔर सतत विकास में विज्ञान की भूमिका की गहन पड़ताल का दिन भी होता है. इस दिन समाज के कल्याण के लिए विज्ञान के उपयोग के लिए प्रतिबद्धता को भी दोहराया जाता है. इस समय विज्ञान के समक्ष जो चुनौतियाँ हैं उनकी ओर ध्यान आकर्षित करना और विश्व में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में योगदान पर चर्चा करना भी होता है.इस दिवस के आयोजन का एक बड़ा उद्देश्य विश्व में सामान्य नागरिकों तक विज्ञान के विकास की जानकारी पहुंचाना भी है जिससे वे रोजमर्रा की जिंदगी में विज्ञान के महत्व को समझ सकें.हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं उसकी भी हमें सीमित जानकारी है. विश्व विज्ञान दिवस हमें पृथ्वी की समझ को व्यापक बनाने और सतत विकास के लिये वैज्ञानिकों की अहम्  भूमिका पर भी इस दिन विमर्श किया जाता है..वस्तुत: सतत विकास की अवधारणा बिना विज्ञान के सम्भव ही नहीं ं है. असल में ं विश्वशांति और सतत वैश्विक विकास अन्योन्याश्रित
लक्ष्य है और विज्ञान के माध्यम से इन दोनों लक्ष्यों को पाना ही आज़ के समय की सबसे प्रमुख जरुरत है और विश्व विज्ञान दिवस पर इसी प्रक्रिया पर गहन विचार विमर्श होता है. विज्ञान एक अध्येय विषय के रुप में जितना जरुरी है उससे ज्यादा जरूरी है जन सामान्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास. विश्व विज्ञान दिवस पर इसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास पर बात होती है.

विज्ञान के महत्व और दैनिक जीवन में उसकी उपयोगिता रेखांकित होती है इस दिन

विश्व विज्ञान दिवस पर विज्ञान के महत्व और दैनिक जीवन में इसकी उपयोगिता को रेखांकित किया जाता है . इस आयोजन का लक्ष्य समाज और विज्ञान के बीच की दूरी मिटाने और वैज्ञानिक आविष्कारों के महत्व को स्थापित करना है. समूचे विश्व में इस दिन को शासकीय और गैर-शासकीय संस्थाएँ, वैज्ञानिक शोध संगठन, व्यावसायिक संघ, मीडिया, स्थानीय स्वशासी संस्थाएं यथा नगर निगम - नगरपालिकाएँ, विज्ञान के शिक्षक और सभी विद्यालय  इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. यह दिन हर वर्ष हमें 
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सम्पन्न विश्व विज्ञान सम्मेलन में दो दस्तावेजों में से एक में घोषित उद्देश्य, विज्ञान संबंधी घोषणा और वैज्ञानिक ज्ञान के उपयोग, को प्राप्त करने तथा सम्मेलन की वैज्ञानिक कार्यसूची में शामिल संस्तुतियों का एक ढाँचा (फ्रेमवर्क) बनाने का अवसर देता है .यूनेस्को हर वर्ष विश्व विज्ञान दिवस पर एक रपट प्रकाशित करता है . विज्ञान को लोकप्रियता दिलाने और विभिन्न समसामयिक समस्याओं जैसे - प्रबंधन, ताजा पानी और जैविक विविधता की सुरक्षा जैसे विषयों पर बात करने के लिए यूनेस्को द्वारा एक त्रैमासिक पत्रिका- "अ वर्ल्ड ऑफ साइंस "भी प्रकाशित की जाती है. यूनेस्को का
यह प्रयास इस मामले में भी सराहनीय है कि इससे
विज्ञान की जनप्रियता को बढ़ाने की राह  खुलती है  
यूनेस्को की यह पहल  जनप्रियता को एक नया आयाम देती है.


कोरोना संक्रमण काल में विज्ञान का एक नया और पुरअसर प्रारुप नज़र आया

कोरोना संक्रमण काल में विज्ञान के नये और पुरअसर
प्रारुप पर भी  हाल ही में चर्चा-परिचर्चा श्रृंखला (डिस्कोर्स सीरिज़) में एक प्रभावी टिप्पणी की गई. केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ( डिपार्टमेंट ऑफ साईन्स एण्ड टेक्नोलॉजी) की स्थापना के पचास वर्ष होने पर आयोजित इस परिचर्चा में - " महामारी के इतर पहलू " ( द अदर साइड ऑफ़ पैनडैमिक) पर चर्चा करते हुए विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि कोविड-19 महामारी काल में घर से बाहर निकलते समय हम इससे क्या सीख लें रहे हैं, इसे समझना जरूरी है .इसके अलावा, अब हमारे सामने कई चुनौतियाँ भी हैं. जब हम चुनौतियों की बात करते हैं तो हमारे सामने नए अवसर भी आते हैं.और ऐसे अवसर विज्ञान से जुड़े हुए अलग-अलग क्षेत्रों में हमारी बेहतरी की मिसाल बन सकते हैंऔर  इस संक्रमण काल से हमने काफी कुछ सीखा है और हम आगे भी विज्ञान के नए और पुरअसर प्रारूप देखने में भी सक्षम होंगे.महामारी से बहुत कुछ सीखने की बात भी इस अवसर पर कही
गई यह भी कहा कि  आगे चलकर विज्ञान के जो नए प्रारूप सामने आयेंगे वे बेहद प्रभावी होंगे . यह भी कहा गया कि साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के लिए 'इनोवेशन चेन' (नवोन्मेष श्रृंखला) की जरूरत होती है  जिसमें इनोवेशन ईको-सिस्टम ( नवोन्मेष पारिस्थितिक तंत्र) के कई आयाम शामिल होते  है .विज्ञान को भविष्य के लिए तैयार रहने के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ बढ़ाने की कोशिश भी करनी होगी.



विज्ञान दिवस , सामाजिक सरोकार में विज्ञान की भूमिका का पुनर्आविष्कार करता है

विश्व के सतत विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास  की बहुआयामी यात्रा तक विज्ञान ने सामाजिक सरोकारों में भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई है  . विज्ञान ने भौगोलिक दूरियों को नगण्य करके व्यापार और विकास के व्यापक स्वरूप को आकार दिया है. सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से आज अलग- अलग उपमहाद्वीप के बीच मजबूत आर्थिक और व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए जा चुके हैं .सतत परिवर्तन की इस यात्रा में, विज्ञान ने सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को जोड़कर पारिवारिक और सामाजिक निकटता को सहजता से बढ़ा दिया हैआज लगभग हर रोज ही जिस महिला सशक्तिकरण की बात हम करते हैं, उसको अनेक सुरक्षा उपकरणों के साथ महिलाओं के लिए सहूलियत और सुलभता भरे वातावरण का निर्माण करने में भी विज्ञान ने अपना योगदान दे कर शांति के प्रति हमारी कटिबद्धता को रेखांकित किया है.विज्ञान के मौजूदा अत्याधुनिक स्वरुप ने सूचना प्रौद्योगिकी के एक नये युग की शुरूआत की है जिसमे ओपन हार्टसर्जरीऔर स्टेम सेल थेरेपी ने चिकित्सकीय विज्ञान के क्षेत्र अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल की हैं तो मनोरंजन के क्षेत्र को टीवी, रेडियो, इंटरनेट और वीडियो गेम्स जैसे अनेक आविष्कार विज्ञान से ही प्राप्त हुए हैं. इन सबसे विज्ञान की सामाजिक सरोकार के प्रति जो प्रतिबद्धता बढ़ी उससे भी विज्ञान की सतत विकास के संवाहक वाली भूमिका सुस्पष्ट हुई है.

राजा दुबे

No comments: