Saturday, February 13, 2021

रेडियो की महती भूमिका को रेखांकित करता है - विश्व रेडियो दिवस



13 फरवरी को प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। विश्व रेडियो दिवस पहली बार वर्ष  2012 में मनाया गया था। एक सामुदायिक श्रव्य माध्यम के रुप में रेडियो की निर्विवाद रुप में एक महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा से रही है। शिक्षा के प्रसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक बहस में रेडियो की भूमिका को रेखांकित करने के लिए ही- "यूनेस्को" (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा पहली बार वर्ष 2012 में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया गया था। फरवरी की 13 तारीख को ही विश्व रेडियो दिवस के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि 13 फरवरी सन् 1946 को ही रेडियो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपने रेडियो प्रसारण की शुरुआत की गई थी। अगर रेडियो की पहुंच की बात की जाए तो ये पूरी दुनिया की 95 प्रतिशत जनसंख्या तक इसकी पहुंच है।  रेडियो की पहुंच दूर-दराज के समुदायों और छोटे-छोटे समूहों तक कम लागत पर पहुंचाने वाला संचार का सबसे सस्ता और सुगम साधन है। आरम्भ में बड़़े आकार के लकड़ी के कैबिनेट में संयोजित होने से रेडियो की संवहन क्षमता कम थी मगर सतत अनुसंधान के बाद जब रेडियो का अवतरण -"ट्रांजिस्टर" के स्वरुप में हुआ तो प्लास्टिक के आसानी से लाने ले जाने वाले स्वरुप के कारण रेडियो की पँहुच और भी व्यापक हुईऔर रेडियो की घर-घर पहुंच, विस्तारित होकर हाथ- हाथ तक पहुंच गई है जो एक बड़ी सार्वकालिक प्रोद्यौगिकी उपलब्धि मानी जाती है ।

भारत में रेडियो का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है 

वर्ष 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पीरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई थी। देश के आजाद होने के बाद यह प्रसारण -"ऑल इंडिया रेडियो" के नाम से जाना गया  जिसे- "आकाशवाणी" भी कहते हैं। देश में वर्ष 1947 में आज़ादी के बाद आकाशवाणी के पास छह रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच ग्यारह प्रतिशत आबादी तक ही थी। वर्तमान समय में इसी आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन हैं और उसकी पहुंच लगभग 99.1 फीसदी भारतीयों तक है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने वर्ष 2002 में शिक्षण संस्थाओं को कैंपस रेडियो स्टेशन खोलने की अनुमति दी थी और 16 नवम्बर 2006 को  स्वयंसेवी संस्थाओं को रेडियो स्टेशन खोलने की इजाजत संयुक्त प्रजातांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा दे दी गई थी। जैसा कि देशवासी जानते हैं देश को वर्ष 1947 में जब 15 अगस्त को आजादी मिली तो उस ऐतिहासिक खबर को भी लोगोंं ने रेडियो पर ही सुनी थी। एक सशक्त श्रव्य माध्यम के रुप में रेडियो का महत्व टेलीविजन के प्रसार के बावजूद यथावत है। सूचना और मनोरंजन के साथ ही शिक्षा के प्रसार का भी यह एक सशक्त माध्यम है और रेडियो केन्द्र का दस्तावेजीकरण का प्रभाग इतना प्रभावी और सम्पूर्ण
है कि देश का सामाजिक,  सांस्कृतिक और राजनैतिक
इतिहास आजतक रेडियो केंन्द्र के "आर्काइव" में संरक्षित है। देश की विरासत को लेखबद्ध और स्वरबद्ध करने में रेडियो की अहम् भूूमिका रही है ।

यूनेस्को को श्रेय प्राप्त है इस एक उपयोगी और प्रेरक आयोजन का 

यूनेस्को यानी  संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक और संगठन को विश्व रेडियो दिवस के आयोजन का श्रेय प्राप्त है क्योंकि यूनेस्को ही प्रतिवर्ष  विभिन्न ब्रॉडकास्टर्स, संस्थाओं एवं समुदायों के साथ मिलकर विश्व भर में इसका आयोजन करता है। इस दिवस को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है जिसमे रेडियो को सूचना और संचार के माध्यम के अतिरिक्त इसका दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार मे भी इसके महत्व को  बताया जाता है। यूनेस्को ने 3 नवम्बर 2011 को यूनेस्को के 36 वर्ष पूरे होने पर 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाये जाने की घोषणा की थी। पहला विश्व रेडियो दिवस वर्ष 2012 में 13 फरवरी को मनाया गया था।इसका आयोजन संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 1946 में पहले ब्रॉडकास्ट को भी याद करते हुए किया जाता है। विश्व में रेडियो प्रसारण के विस्तार को संयुक्त राष्ट्र संघ अभिवयक्ति के सशक्त माध्यम के रुप में भी देखता है और इस माध्यम  से हम विश्वशांति के संदेश को भी सहजता से विश्व के इस कोने से उस कोने तक पलक झपकते पँहुचा सकते हैं । सूचनाओं के संवहन में भी रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और सूचनाओं की विश्वसनीयता पर यदि प्रधिकृत सरकारें निगरानी रखें तो समूचे विश्व को सूचना क्रांति से लाभान्वित किया जा सकता है। यूनेस्को ने इस दिशा में कई राष्ट्रों को खासकर तीसरी दुनिया के देशों को अपने में प्रसारण की अधोसंरचना के विकास सम्बन्धी सहायता भी प्रदान की  है।


कोरोना काल में बंद  "रंगोली" को मिली विविध भारती से सहायता

"रंगोली" भारतीय फिल्मी गीतों की एक लोकप्रिय टेलीविजन श्रृंखला है जो प्रति रविवार सुबह दूरदर्शन की
राष्ट्रीय प्रसारण सेवा पर प्रसारित होती है। विज्ञापनों के
समय को शामिल कर साठ मिनट के इस कार्यक्रम का
प्रसारण पहली बार वर्ष 1988 में हुआ था और वर्ष 1990 के दशक से इसे व्यापक रूप से देखा गया। यह भारत के बाहर भी लोकप्रिय है, विशेष रूप से मध्य पूर्व या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी जगहों पर, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। इस कार्यक्रम को सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्रियों हेमामालिनी, शर्मिला टैगोर, सारा खान और टीवी आर्टिस्ट श्वेता तिवारी व स्वरा भास्कर ने प्रस्तुत किया। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण इस कार्यक्रम का प्रसारण भी बाधित हुआ जबकि दर्शकों द्वारा इसके पुनर्प्रसारण की माँग बढ़ी। ऐसे समय जब एंकर के साथ कार्यक्रम के निजी निर्माताओं ने श्रृँखला को जारी रखने में असमर्थता जताई तब इस लोकप्रिय श्रृँखला को जारी रखने के लिये विविध भारती का सहयोग काम आया और विविध भारती के मुम्बई केन्द्र से इसका प्रसारण आरम्भ हुआ। विविध भारती के जाने माने उद्घोषकों की जोड़ी रेणु चतुर्वेदी और रमाकांत ने इस श्रृँखला की एंकरिंग की। इन दिनों रेणु चतुर्वेदी के साथ हीरामन ठाकुर एँकरिंग कर रहें और टीवी की इस लोकप्रिय श्रृँखला को रेडियो का सहारा काम आ रहा है और विविध भारती के सहयोग से इस श्रृँखला की लोकप्रियता परवान चढ़ रही हैं ।

यूनेस्को से आरम्भ की है "रेडियो उत्सव" की परम्परा 

विश्व रेडियो दिवस को विशिष्ट आयोजन बनाने के लिए यूनेस्को ने एक और अभिनव प्रयास -"रेडियो उत्सव" मनाने के रुप में आरम्भ किया। नई दिल्ली में यूनेस्को हाउस में भारत का पहला रेडियो उत्सव गत 13 फरवरी 2018 को आयोजित किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के साथ साझेदारी में रेडियो और टेलीविज़न में महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय संघ (आई.ए.डब्ल्यू.आर.टी.) द्वारा आयोजित किया गया था। रेडियो उत्सव के आयोजन का उद्देश्य रेडियो प्रसारण से जुड़े पेशेवरों,  कार्यक्रम प्रसारणकर्ताओं (ब्रॉडकास्टर्स) और अन्य  डिजिटल ऑडियो प्रोग्रामर को एक साथ एक मंच पर लाने का है। इसमें विशेषज्ञों की पैनल चर्चा, प्रदर्शनी का आयोजन और लाइव प्रदर्शनों की चर्चा शामिल की जाती है। विश्व रेडियो दिवस 2018 का विषय था -"रेडियो और खेल प्रसारण " पहले रेडियो उत्सव में सामाजिक परिवर्तन के लिए एक मंच के रूप में खेल की क्षमता की जांच और खेल प्रसारण को और भी रोचक और प्रतिस्पर्धी बनाने पर व्यापक चर्चा की गई थी। इस रेडियो उत्सव में प्रसारण के दोनों स्वरुप टेलीकॉस्टिंग और ब्रॉडकास्टिंग में अपनाई जा रही नई प्रोद्यौगीकियों पर विमर्श किया गया। रेडियो उत्सव में प्रसारण की तकनीक ही नहीं प्रसारण की जा रही सामग्री पर भी गंभीर विमर्श किया जाता है। पहले रेडियो उत्सव की इस सफलता से उत्साहित यूनेस्को ने इस श्रृँखला को आगे भी जारी रखने का निश्चय किया।

विश्व रेडियो दिवस पर होता है प्रसारण में महिलाओं की स्थिति पर विमर्श 

बदलते वक्त के साथ प्रसारण जगत में महिला पेशेवरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और अध्ययन
बताते हैं कि महिलाएं इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। प्रसारण के प्रतिष्ठापूर्ण पेशे से जुड़ीं इन पेशेवर महिलाओं ने वर्ष 1949 में रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारण से जुड़ी महिलाओं का एक संगठन  आई.ए.डब्ल्यू. आर.टी.( इण्टरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वूमेन इन रेडियो एण्ड टेलीविजन) बनाया।
इस एक वैश्विक संगठन के सहयोग से अब प्रतिवर्ष विश्व रेडियो दिवस पर प्रसारण में महिलाओं की स्थिति पर भी व्यापक विमर्श होता है। आई.ए.डब्ल्यू. आर.टी . का मिशन महिलाओं के विचारों और मूल्यों को सुनिश्चित करने की पहल को मजबूत करना और मीडिया में प्रोग्रामिंग में महिलाओं की भूमिका को सुनिश्चित करना है। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) के साथ परामर्श की भूमिका का निर्वाह करता है। यह संगठन विश्व रेडियो दिवस पर  सम्मेलनों  और कार्यान्वयन परियोजनाओं का आयोजन करता है और प्रसारण से जुड़ी विभिन्न  गतिविधियों को चलाता है, और मीडिया संगठनों के साथ सहयोग करता है। यह अंतरराष्ट्रीय बोर्ड द्वारा प्रबंधित है, जो कई स्थानीय आयोजन और सहायक गतिविधियों के लिए धन की पहल की देखरेख भी करता है।यह संगठन विश्व रेडियो दिवस पर महिला पेशेवरों की स्थिति की समीक्षा भी करता है ।

सोश्यल मीडिया के मंच पर भी हुआ समाचार सुनने का मुकम्मल इंतज़ाम 

आज जबकि रेडियो और दूरदर्शन के प्रसारण को जनसाधारण भी अपने एण्ड्रॉयड मोबाइल पर आसानी से देख सुन सकते हैं ऐसे में सोश्यल मीडिया के मंच पर समाचार भी प्रस्तुत करने का पहला और अभिनव 
प्रयास आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र ने किया। वर्ष
2018 में विश्व रेडियो दिवस के मौके पर 13 फरवरी 2018 को आकाशवाणी भोपाल के समाचार प्रभाग ने अपने रीजनल बुलेटिन को सोश्यल मीडिया के मंच पर प्रस्तुत करना शुरू किया। अब श्रोता भोपाल से प्रसारित होने वाले क्षेत्रीय समाचार बुलेटिन फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और यू-ट्यूब पर भी सुन सकते हैं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आकाशवाणी के बुलेटिन नियमित सोशल मीडिया पर सुने जा सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली से प्रसारित होने वाले राष्ट्रीय समाचार के लिए विशेष मोबाइल ऐप - "न्यूज ऑन एयर" भी गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। भोपाल से प्रसारित होने वाले प्रादेशिक समाचार फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर - आर एन यू भोपाल ( rnubhopal ) सर्च करके सुने जा सकते है  और  www.airbhopalnews.blogspot पर भी न्यूज़ स्क्रिप्ट पढ़ी जा सकती है। सोशल मीडिया पर बुलेटिन को लॉन्च करने में अहम रोल निभाने वाले आकाशवाणी के संपादक समीर वर्मा का कहना है कि वक्त के साथ बदलाव जरूरी है, इस दौर में जब युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिताती है ऐसे में उन तक आकाशवाणी की सच्ची और सटीक खबरें पहुंचाने के लिए यह पहल जरूरी थी। 
 
 राजा दुबे 
 

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