Friday, May 21, 2021

जैव विविधता का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है

 


हमारे जीवन में जैव-विविधता का काफी महत्व है। हमें विश्व में एक ऐसे पर्यावरण परिदृृृश्य का निर्माण करना है जो जैव-विविधता में समृद्ध, टिकाऊ और आर्थिक गतिविधियों के लिए हमें अवसर प्रदान कर सकें। जैव-विविधता के घटने से प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा और तूफान आदि आने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है अत: हमारे लिए जैव-विविधता का संरक्षण बहुत जरूरी है। इसी सन्दर्भ में समूचे विश्व के पर्यावरणविद् और निर्वाचित सरकारें यह स्वीकार करतीं हैं कि जैव  विविधता का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में पृथ्वी पर जीवन उपस्थित है और हमारा जीवन प्रकृति  का अनुपम उपहार है। अत: पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, समुद्र-नदियां आदि प्रकृति की इन सभी देन का हमें संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि यही हमारे अस्तित्व एवं  विकास का आधार है। प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता के महत्व को देखते हुए ही जैव-विविधता दिवस को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। प्रतिवर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है। इसे - "विश्व जैव-विविधता संरक्षण दिवस " भी कहते हैं। इसका प्रारंभ संयुक्त राष्ट्र ने किया था। नैरोबी में 29 दिसंबर 1992 को हुए जैव-विविधता सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था, किंतु कई देशों द्वारा व्यावहारिक कठिनाइयां जाहिर करने के कारण वर्ष 2003 में इस दिन को 29 दिसम्बर के स्थान पर 22 मई को  मनाने का निर्णय लिया गया। इस आयोजन का लक्ष्य विशेष तौर पर वनों की सुरक्षा, संस्कृति, जीवन के कला, शिल्प,  संगीत, वस्त्र-भोजन, औषधीय पौधों का महत्व आदि को प्रदर्शित करना और जैव-विविधताके महत्व एवं उसके नष्ट अथवा कम होने से आसन्न खतरों के बारे में जागरूक करना था।  


जैव विविधता संसाधन वो स्तम्भ हैं जिन पर सभ्यता का निर्माण होता है

जैविक विविधता (जिसे जैव विविधता के नाम से भी जानते हैं) को अक्सर पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विस्तृत विविधता के संदर्भ में समझा जाता है, लेकिन इसमें प्रत्येक प्रजाति के भीतर आनुवंशिक अंतर भी शामिल हैं। जैविक विविधता संसाधन वो स्तम्भ हैं, जिन पर हम सभ्यताओं का निर्माण करते हैं। मछली विश्व में लगभग तीन बिलियन लोगों को बीस प्रतिशत पशु प्रोटीन प्रदान करती है। ऐसे ही अस्सी प्रतिशत से अधिक मानव आहार पौधों द्वारा प्रदान किया जाता है। इसके अलावा विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अस्सी प्रतिशत लोग स्वास्थ्य की पारम्परिक देखभाल के लिए पारम्परिक औषधीय पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर होते हैं। इसी से जैव विविधता के नुकसान से हमारे जीवन के स्वास्थ्य सहित विभिन्न पहलुओं पर खतरा बना रहता है प्रकृति और मानव जीवन के बीच एक स्थायी संबंध है. हम अपने भोजन और स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ, विविध प्राकृतिक प्रणालियों पर निर्भर हैं. इसलिए, कई जैव विविधता मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। सच तो यह है कि प्रकृति ने हमें सब  कुछ दिया है, प्रकृति से लाभ तो लेते हैं  लेकिन ज्यादातर हम इसे ग्राण्टेड यानी यह तो प्रकृति को हमें देना ही था वाले भाव से लेते हैं। यदि हम मानव जीवन को बचाना चाहते हैं तो उसके लिए हमें प्रकृति को बचाना होगा। यह एक तात्कालिक आवश्यकता है। इसी से जैव विविधता दिवस का यह दिन प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए भी मनाया जाता है।

विविध आयोजन के माध्यम से इस दिन का महत्व रेखांकित होता है 

इस दिन, पूरी दुनिया में, लोगों को जैव विविधता के महत्व को और हमारे  भविष्य के लिए यह क्या भूमिका निभाता है, को समझाने के लिए विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। वस्तुत इस दिन विभिन्न आयोजन के माध्यम से इस दिन के महत्व को रेखांकित किया जाता है। जैविक विविधता पर कन्वेंशन का सचिवालय हर साल उन समारोहों का आयोजन करता है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं. कई राष्ट्रीय सरकारें और गैर-सरकारी संगठन भी समारोहों में भाग लेते हैं। इस दिन कई प्रकार की गतिविधियाँ होती है। जैसेे इस दिन जैव विविधता और पर्यावरण पर विभिन्न पुस्तिकाओं और अन्य शैक्षिक संसाधनों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता हैै। स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, समाचार पत्रों, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से जैव विविधता पर बहुत सारी जानकारी प्रसारित और प्रचारित की जाती है। पर्यावरण के मुद्दों पर भी फिल्में दिखाई जाती हैं और छात्रों, पेशेवरों और आम जनता के लिए भी प्रदर्शनियों और सेमिनारों का आयोजन किया जाता है। कई ऐसेे कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं जो लुप्तप्राय प्रजातियों या आवासों को संरक्षित करने के तरीके पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कई स्थानों पर पेड़ और अन्य पौधे लगाना जो भूमि कटाव को रोकने में मदद करते हैं। स्थानीय पर्यावरण के मुद्दों पर भाषण होते हैं, बच्चों और युवाओं के लिए तस्वीरें लेने या वार्षिक थीम पर केंद्रित कलाकृति बनाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो वर्ष से यह सभी आयोजन ऑनलाइन हो रहें हैं और इस वर्ष भी यह सभी आयोजन ऑनलाइन ही होंगे ।


जैव विविधता से इंसानी रिश्ता अटूट भी है, अभेद्य भी

पर्यावरण से जुड़े विषयों पर लिखने वाले विषयों के
लब्धप्रतिष्ठित लेखक पंकज रामेन्दु ने जैव विविधता और इंसानी रिश्ते को लेकर बड़ी प्रभावी टिप्पणी की है। वे
कहते हैं जैव विविधता को हम एक बिल्डिंग ब्लॉक की तरह समझ सकते हैं, जिसमें हर एक ब्लॉक दूसरे को संभाले हुए रहता है। अगर किसी भी एक ब्लॉक को हटाया जाए, तो पूरी इमारत धराशायी हो जाती है । जैव विविधता भी ठीक इसी तरह धरती और पानी के जीवन का आधार होती है ।यह धऱती के हर प्राणी, हवा, पानी, भोजन सब पर असर डालती है।  इसी की बदौलत दवा से लेकर प्राकृतिक तौर पर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता, मौसम बदलाव पर नियंत्रण, सब कुछ होता है। जैव विविधता धऱती पर पूरे जीवन तंत्र को रचने वाले एक जाल की तरह है, जिससे एक तत्व भी निकाला गया, तो पूरे तंत्र पर इसका बुरा असर पड़ता है। जैव विविधता का इंसानी रिश्ता अटूट भी है अभेद्य भी। कोविड-19 के लिए जिम्‍मेदार भी हम इंसान ही हैं। जैव विविधता की अनदेखी वह वजह है जिससे  कोविड-19 जैसी महामारी फैली। जब हमने जैव विविधता को नष्ट करना शुरू किया तभी से हमने उस तंत्र को समाप्त करना शुरू कर दिया, जो स्वास्थ्य तंत्र के लिए मददगार होता है। अब भी समय है कि हम जैव विविधता से इंसानी रिश्ते के भाष्य को समझें। पंकज बताते हैं कि वरिष्ठ लेखक अभय मिश्र के साथ जब उन्होंने - "दर दर गंगे" किताब के लिए गंगा नदी की यात्रा की तब उन्हें पता चला कि  जैव विविधता का संरक्षण किसी भी नदी के जीवन को बचाने के लिये कितना जरूरी होता है? 

कोरोना महामारी के समय जैव विविधता की जरुरत प्रतिपादित हुई

महात्मा गांधी ने कहा था कि पृथ्वी हर मनुष्य की जरूरत को पूरा कर सकती है परंतु पृथ्वी मनुष्य के लालच को पूरा नहीं कर सकती है। आज हमें इस सीख को अपनाने को संदेश दे रहा है। कोरोना वायरस के संकट ने मनुष्य को उसके विकास के पुनर्मूल्यांकन के दोराहे पर खड़ा कर दिया है। आज हमें विकास के नए मापदंड अपनाने होंगे। कोरोना के बाद नई दुनिया का विकास पर्यावरण संरक्षण के साथ हो, जिससे वन्य प्राणियों के पर्यावास पर विशेष ध्यान दिया जा सके। खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत आने वाले पशु-पक्षियों में संक्रमण न फैले, इसके लिए उनके रखरखाव संबंधी नए कानून बनें एवं जो कानून मौजूद हैं उनका कड़ाई से पालन हो जिससे फ्लू और वायरसजन्य अन्य बीमारियों को रोका जा सके। हमें अपनी आहार शैली बदलने की सख्त जरूरत है। हमें यह तय करना होगा कि हम क्या खा सकते हैं और क्या नहीं? सच तो यह है कि कोरोना महामारी के दुष्काल में जव विविधता की न सिर्फ जरुरत प्रतिपादित हुई अपितु इसकी अपरिहार्यता भी सामने आई। नदी एवम् पर्यावरण विषयों पर साधिकार लिखने वाले डॉ. वैंकटेश दत्ता मानते हैं कि कोरोना संक्रमण काल प्रकृति को फिर से खुशहाल और समृद्ध करने का समय हैं। इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज को हिला दिया है। प्रकृति रीसेट बटन दबा रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भारी गिरावट की स्थिति में हैं। सामूहिक विकास और समृद्धि को परिभाषित करने का यह  सही समय है, जो पारिस्थितिक सम्पन्नता के संदर्भ में मापी जा सके न कि बढ़ती आय के स्तर के रूप में। इस समय हमें जैैैव विविधता के महत्व और किसी भी बड़े संकट के समय इसकी उपस्थिति के मायने की जरुरत को समझना होगा तभी हम प्रकृति और और जीवन को बचा सकेंगे।

जैव-विविधता और उससे जुड़े विषयों पर इस दिन चर्चा होती है

जैव-विविधता "जैविक" और "विविधता" दो शब्दों से उत्पन्न हुआ है। यह सभी प्रकार के जीवन को संदर्भित करता है जो पृथ्वी पर पाए जाते हैं जैसे पौधों, जानवरों, कवक और सूक्ष्म जीवों. इसके अलावा, यह उन समुदायों को भी संदर्भित करता है जो वे बनाते हैं और जिन आवासों में वे रहते हैंं। हम कह सकते हैं कि जैव विविधता एक दूसरे के साथ और बाकी पर्यावरणों के साथ जीवन रूपों और उनके परस्पर संबंधों का संयोजन है जिसने पृथ्वी को मनुष्यों के लिए एक अद्वितीय निवास स्थान बना दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जैव विविधता हमारे जीवन को बनाए रखने वाली बड़ी संख्या में सामान और सेवाएं प्रदान करती है। विश्व जैव विविधता दिवस पर हम जैव विविधता से जुड़े इन्हीं विषयों पर चर्चा करते हैं ।तकनीकी प्रगति के बावजूद दुनिया में पूरा समुदाय हमारे स्वास्थ्य, पानी, भोजन, दवा, कपड़े, ईंधन इत्यादि के लिए पूरी तरह से स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर है और इसी संदर्भ में वर्ष 2020 में जैव विविधता दिवस पर -"प्रकृति ही हमारी
समस्याओं का समाधान है" विषय पर चर्चा की गई थी। इनके अलावा पिछले कुछ वर्षों में इस दिन जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें पुनश्च हम बेहतर बनें , हमारी जैव-विविधता- हमारा भोजन- हमारा स्वास्थ्य , जैव विविधता के लियेे समर्पित वन, जैव विविधता और गरीबी उन्मूलन-सतत विकास के लिये चुनौतियां, जैव-विविधता सभी के लिये खाद्य,जल और स्वास्थ्य, जैव विविधता हमारी बदलती दुनिया के लिये जीवन बीमा, शुष्क भूमि में जैव विविधता की रक्षा और जैव विविधता और कृषि तथा जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर भी गत सालों में इस दिन चर्चा हुई। इस साल भी आईये ऐसे ही किसी प्रासंगिक विषय पर चर्चा करें।

राजा दुबे 

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