Thursday, July 15, 2021

भोपाल की गंगा-जमुनी तहज़ीब की महक थी असद के गीतों में : राजा दुबे




मशहूर हिन्दी फिल्म- "उस्तादों के उस्ताद" का एक गीत है-"प्यार बाँटते चलो, हाँ प्यार बाँटते चलो, क्या हिन्दू, क्या मुसलमाँ, हम सब हैं भाई-भाई" और इस गीत में जिस एक गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात की गई है उस तहज़ीब की बानगी हमें भोपाल शहर में देखने को मिलती है और इसी से भोपाल के वाशिन्दे गर्व के साथ कहते हैं कि हाँ यह गीत भोपाल के हरदिल अज़ीज़ शायर असद भोपाली ने लिखा है। इस वर्ष जब देश उस शायर की जन्मशती मना रहा है उनके अवदान को याद करने का इससे अच्छा अवसर और क्या होगा? खुद असद भोपाली ने अपने परिचय में कहा है कि वे फिल्‍मी जुबां में गीतकार थे और उर्दू जुबां में शायर। असद एक ऐसे मेधावी रचनाकार थे जिनका काम उनके नाम से अधिक पहचाना गया।

पुराने भोपाल के इतवारा इलाके में 10 जुलाई 1921को जन्मे असद का पूरा नाम असदुल्लाह खान था। उनके पिता मुंशी अहमद खां भोपाल के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में शामिल थे। वे शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ उर्दू में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। असद अपनी शायरी के चलते धीरे धीरे असद भोपाली के नाम से मशहूर हो गये। अट्ठारह साल की उम्र में आप गीतकार बनने के लिए बंबई आ गये, लेकिन अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें पूरे जीवन संघर्ष करना पड़ा।


शब्दों के जादूगर को मध्यप्रदेश का सलाम

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने असद
भोपाली की जन्मशती पर ट्विट के जरिए श्रद्धांजली
अर्पित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के अनमोल रत्न,
प्रसिद्ध गीतकार और शायर असद भोपालीजी की जन्म
शती पर नमन। उन्होंने कहा कि- "वो जब याद आये, बहुत याद आये ...  --  हम तुमसे जुदाई होके...--- हँसता
हुआ नूरानी चेहरा ..." जैसे उनके गीत हम सब जब भी सुनेंगे उनकी याद आयेगी। शब्दों के जादूगर को मध्यप्रदेश का सलाम।

असद भोपाली के लिखे फिल्मी  गीत लोकप्रिय तो बहुत रहे, परन्तु पारिश्रमिक की सौदेबाजी में महारत न होने से इसका समुचित लाभ उन्हें नही मिल पाया। वे बीमारी और आर्थिक अभावों से जूझते हुए ही चले गये। इतने सफल गीतों के बाद भी असद भोपाली के हिस्‍से में छोटे बजट की फिल्‍में ही आईं। कम काम मिलने का एक कारण असद भोपाली का स्‍वाभिमान भी था। उन्‍होंने काम की तलाश में हाथ नहीं फैलाया। अपने परिवार के जीवनयापन के लिए वे हर तरह का काम करते रहे। चाहे फिल्‍म छोटी हो या नए कलाकारों वाली, बतौर गीतकार असद भोपाली पूरी ईमानदारी से कात करते रहे। हालांकि, आजीविका का संघर्ष कदम दर कदम उनके साथ चलता रहा। प्रख्‍यात अभिनेत्री तबस्‍सुम अपने कार्यक्रम में जिक्र करती हैं कि असद भोपाली अपने हालात बयान करते हुए अक्‍सर कहा करते थे कि जिस चीज ने जिंदगी भर साथ निभाया वह थी गुर्बत यानि गरीबी।

अपनी प्रतिभा और संयोग के सहारे वे फिल्मी दुनिया में आये थे। देश की आजादी के समय एक फिल्म बन रही थी- "दुनिया" जिसके गीत लिख रहे थे- मशहूर शायर आरजू लखनवी। अभी वो दो ही गीत लिख पाये थे कि देश का विभाजन हो गया और आरज़ू लखनवी सा'ब पाकिस्तान चले गये। अब फिल्म के गीत लिखने के लिए नये गीतकार की तलाश शुरू हुई। निर्माता फाजली ब्रदर्स और निर्देशक एस एफ हसनैन के एक परिचित थे कपाडिया साहब जिनके भोपाल में कई सिनेमाघर थे। उन्होंने फाजली बन्थुओं को सुझाव दिया कि उन्हें भोपाल शहर में नया गीतकार मिल सकता है क्योंकि इस शहर में कई बडे़ और नामी शायर रहते हैं और यहाँ अक्सर मुशायरे होते रहते है। ऐसा ही एक मुशायरा दिनांक 5 मई 1949 को भोपाल टॉकीज में आयोजित हुआ जिसमे निर्माता फाजली ब्रदर्स ने असद भोपाली की शायरी को सुना, पसंद किया। अगले ही दिन भारत और भोपाल टॉकीज के मैनेजर सैय्यद मिस्बाउद्दीन ने पाँच सौ रुपए एडवांस दिलवाया और फ़ाज़ली ब्रदर्स ने बतौर गीतकार बम्बई आने का निमंत्रण दे दिया। उन्होंने  फिल्म "दुनिया" के लिए दो गीत लिखे, जिन्हें मोहम्मद रफी (रोना है तो चुपके चुपके रो) और सुरैया (अरमान लूटे दिल टूट गया) की आवाज में रिकॉर्ड किये गये। फिल्मी दुनिया में उन्हें असली पहचान और शोहरत निर्देशक बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से मिली. फिल्म के सभी गाने चर्चित हुए और इस तरह अट्ठाईस वर्षीय असद भोपाली की बम्बई में फिल्मी यात्रा शुरू हुई ।

आपने कई संगीतकारों के साथ गीत लिखे हैं जिनमें  हुस्नलाल भगतराम,सी रामचंद्र, सी अर्जुन, चित्रगुप्त, दत्ताराम, शिवराम, लच्छीराम, धनीराम, उषा खन्ना और कल्याणजी आनंदजी प्रमुख हैं । संगीतकार जोडी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की पहली फिल्म 'पारसमणि' के लोकप्रिय गीतों को कौन भुला सकता है। पिछले दिनों
जब विविध भारती के टीवी पर प्रसारित होने वाले रँगोली
कार्यक्रम में असद भोपाली सा'ब का पुण्य स्मरण करते हुए एँकर ने टिप्पणी की कि असद सा'ब ने इस फिल्म में छः बेहतरीन गीत लिखे थे जिनमें से किसी एक गीत को प्रेक्षकों को सुनाना बेहद कठिन है मगर एँकर ने जो गीत चुना वो था - "वो जब याद आये , बहुत याद आये"। असद भाई के दोस्त और भोपाल में कुछ सिनेमाघरों के मालिक बताते हैं इस गीत के बोल इतने पुरअसर थे कि दर्शक टॉकीज में मुकर्रर.. मुकर्रर.. कहते थे अब उन्हें कौन समझाये कि परदे पर यह गाना असद सा'ब नहीं रफी की आवाज़ में फिल्म अभिनेता। महिपाल गा रहें हैं और वो गीत को दोबारा नहीं गा सकते हैं।

असद भोपाली ने अफसाना,  गुलबहार, टावर हाऊस, उस्तादों के उस्ताद, एक सपेरा एक लुटेरा, बाॅक्सर, लुटेरा, छैला बाबू, मिस्टर  एक्स इन बाम्बे , लव एण्ड गाॅड और मैंने न प्यार किया सहित सौ से भी अधिक फिल्मों के लिये लगभग चार सौ गीत लिखे। उनकी अंतिम फिल्म रही- राजश्री वालों की- सूरज बड़जात्या निर्देशित 'मैंने प्यार किया' थी। इस फिल्म के लिये उन्हें अपने जीवन में पहली बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जाना तय हुआ , परन्तु तब तक वे इतने बीमार हो चुके थे कि वे अवार्ड सेरेमनी में मुम्बई नहीं आ पाये थे। वर्ष 1990 में भोपाल में आपका निधन हो गया।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जन्मे इस शख्स नेे
फिल्मी गीतों के माध्यम से हर संगीतप्रेमी को गुनगुनाने का ऐसा मौका दिया, जो आज भी जारी है। वे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। जब-जब भी फिल्म बरसात, पारसमणि, मैंने प्यार किया के गाने गुनगुनाए जाएंगे वे याद किए जाएंगे। 

असद भोपाली के कुछ लोकप्रिय फिल्मी गीत

*  दिल दीवाना बिन सजना के माने ना ......
    ( मैंने प्यार किया)
*   कबूतर जा जा जा ........
     ( मैने प्यार किया )
*   हम तुम से जुदा हो कर .....  
     ( एक सपेरा एक लुटेरा )
*   दिल का सूना साज़ .....
     ( एक नारी दो रूप )
*    ऐ मेरे दिल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना ....
      ( टॉवर हाउस )
*    दिल की बातें दिल ही जाने ..…. 
      ( रूप तेरा मस्ताना )
*     हसीन दिलरुबा करीब आ ज़रा...... 
      ( रूप तेरा मस्ताना )
*    अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो .....
      ( हम सब उस्ताद हैं )
*    ईना मीना डीका दाई डम नीका ..... 
      ( आशा )
*     वो जब याद आये बहुत याद आये .....
       ( पारसमणि )
*     प्यार बाँटते चलो .... 
      ( हम सब उस्ताद हैं *
*    हँसता हुआ नूरानी चेहरा...... 
      ( पारसमणि )
*     आप की इनायतें आप के करम .…... 
       ( वंदना )

राजा दुबे
 

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