Thursday, August 12, 2021

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस

 







युवाओं की दक्षता, ऊर्जा और वैचारिक मेधा की पहचान जरुरी है

विश्व के सर्वांगीण विकास में युवाओं के अवदान को रेखांकित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र की पहल पर प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन का मंतव्य सदस्य देशों का ध्यान युवाओं से जुड़े मुद्दों, उनकी समस्याओं और विश्व के विकास में उनके अवदान के आकलन पर केन्द्रित करना होता है। मौजूदा स्थिति में विश्व के सर्वांगीण विकास और विश्व शान्ति के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये युवाओं की दक्षता, ऊर्जा और वैचारिक मेधा की पहचान बेहद जरूरी है और अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस इसी पहचान को सम्भव बनाता है। वर्ष 2000 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की आरम्भिक रुपरेखा वर्ष 1985 में ही बन गई थी जब संयुक्त राष्ट्र  के एक प्रस्ताव के द्वारा वर्ष 1985 को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष के रुप में मनाया गया था। अंतर्ष्ट्रीय युवा दिवस के लिए विचार वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र के विश्व युवा मंच के पहले सत्र के लिए ऑस्ट्रिया के वियना में इकट्ठा हुए युवाओं द्वारा प्रस्तावित किया गया था। मंच ने सिफारिश की कि अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया जाए। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन प्रचार के उद्देश्यों और संयुक्त राष्ट्र युवा कोष के लिए धन एकत्र करने के लिए भी किया गया था। किसी भी देश का युवा उस देश के विकास का सशक्त आधार होता है लेकिन जब यही युवा अपनी सामाजिक और राजनैतिक जिम्मेदारियों को भुलाकर विलासिता के कार्यों में अपना समय नष्ट करता है, तब देश बर्बादी की ओर अग्रसर होने लगता है। इसी कर्तव्यविमुख युवा को सर्वांगीण विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के यत्न का उपक्रम इस दिन किया जाता है। 

युवा आबादी ही किसी भी देश की वास्तविक ताकत और बुनियाद है

किसी भी देश की वास्तविक ताकत का अंदाज़ा उसके युवाओं की संख्या पर निर्भर करता है, युवा वस्तुत: किसी भी देश की बुनियाद होते हैं। राजनीति से लेकर व्यापार तक सब कुछ निर्भर करता है कि, उसको चलाने वाले वरिष्ठजन कैसे है? जब वरिष्ठजन के साथ युवाओं का जोश मिल जाता है तो फिर किसी भी क्षेत्र में कामयाबी हासिल की जा सकती है। इस लिए सरकारें अपने देश के युवाओं पर बहुत ध्यान देती है, उनकी पढ़ाई लिखाई खेल कूद उनके प्रशिक्षण पर अपने सकल घरेलू उत्पाद  का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहाँ की राजनीति व्यापार आदि में युवाओं की भागीदारी सुन्निश्चित करने और उनको बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए एक मंच और दिन की ज़रूरत को महसूस कर ही बारहअगस्त को  अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस  मनाया जाता है।संयुक्त राष्ट्र पन्द्रह से पच्चीस साल की उम्र की आबादी को युवा की श्रेणी में रखता है। इस उम्र की आबादी से दुनिया की आबादी का छठवाँ हिस्सा बनता है, इसमें पुरूष और महिला दोनों को शामिल किया जाता है। भारत में लगभग पैंसठ प्रतिशत आबादी युवाओ की श्रेणी में आती हैं, इस लिहाज से भारत विश्व का सबसे युवा देश है और इस श्रेणी की तेज़ी से वृद्धि हो रही है भारत में।

युवा दिवस का आयोजन युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ता है

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर देश विदेश में कई कार्यक्रम होते हैं, जिसमें वहाँ की सरकारें और गैर सरकारी संस्थाएं हिस्सा लेती हैं। जहां विचार विमर्श किया जाता है कि कैसे युवाओं को सर्वांगीण विकास की  मुख्यधारा से जोड़ा जाए, और उनकी सकारात्मक शक्ति का उपयोग समाज और राष्ट्र के निर्माण में किया जाए। यहाँ युवाओ की शिक्षा रोजगार से जुड़े मुद्दे मुख्य रूप से चर्चा का विषय होते हैं, अन्य गतिविधियों जैसे खेल, संगीत, नृत्य, लेखन आदि में जिन युवाओं ने अपना मुकाम बनाया है, उनको प्रोत्साहित और सम्मानित किया जाता है। ताकि वो और अच्छा करें, और उनको देखने वाले उनसे प्रेरित होकर अपना योगदान समाज को दे सकें । युवा दिवस के दिन स्कूल व कॉलेजों में विशेष आयोजन किये जाते हैं एवम् किशोर व युवाओं  को खेल, सेमीनार, निबंध-लेखन के लिये प्रतियोगिता, प्रस्तुतीकरण, योगासन, सम्मेलन, गायन, संगीत, व्याख्यान , परेड आदि के द्वारा सभी स्कूल, कॉलेज में युवाओं के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है । कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो वर्ष से बचाव के अनुशासन के कारण युवा दिवस के सभी आय़ोजन वास्तविक स्वरूप ( एक्चुअली) न होकर आभासी स्वरुप ( वर्चुअली) हो रहें हैं । युवा दिवस पर कई देशों में पूर्व में घोषित राष्ट्रीय युवा नीतियों की समीक्षा भी की जाती  है और उसमें युवा कल्याण के कुछ नवाचारों को भी जोड़ा जाता है। युवाओं को आगे
बढ़ने में सहायता देने वाले नये प्रकल्प भी इसी दिन
स्वीकृत किये जाते हैं ।


कोरोना संक्रमण से वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा प्रभावित हुई युवा आबादी

कोरोना वायरस के वैश्विक संक्रमण से विश्व के लगभग सभी देशों की वित्तीय संरचना ध्वस्त हुई है और उसका
सर्वाधिक दुष्परिणाम युवाओं को ही भुगतना पड़ रहा है ।
सबसे चिंताजनक स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में
देखने को मिली जहाँ सकल घरेलू उत्पाद-ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन के पूर्वानुमान नकारात्मक वृद्धि दर की ओर चले गए । विकासशील  देश पर बेरोज़गारी की भयंकर मार पड़ रही है और  ग़रीबी उन्मूलन की दिशा में हुई प्रगति के भी उलटी गति पकड़ने का डर है ।विकासशील देशों के युवा वस्तुत: तिहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं- उन्हें नियोजन के क्षेत्र की बदहाली  के कारण बेरोज़गारी से जूझना पड़ रहा है, तो शिक्षा व्यवस्था में व्यवधान से पढ़ाई छोड़ने का दबाव भी बढ़ गया है और डिजिटल फ़ासले के कारण आने वाली मुश्किलें भी इन देश के युवा झेल रहे हैं। परीक्षा में लगातार विलम्ब के चलते, उन्हें न तो डिग्रियां मिल पा रही हैं और न ही वो नौकरी की तलाश के लिए स्वतंत्र हो पा रहे हैं ।इन स्थितियों के कारण ही विकासशील दे अन्य देशों और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इन युवाओं की दिक्कतों पर विमर्श कर सकते हैं। 


विकासशील देश इस दिन करते है युवाओं के प्रवासन पर गँभीर विमर्श

आज विश्व की बहुसंख्य युवा आबादी बिलासिता और सुख-सुविधा को देखते हुए अपनी देश की जमीन को छोड़कर दूसरी जगह आजीविका के लिए जा रहे हैं, जिससे उन  राष्ट्रों के निर्माण खासतौर पर वित्तीय स्वावलम्बन में दिक्कतें आ रही हैं। युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं और विशेषकर भारत जैसे विकासशील राष्ट्र की ऊर्जा तो युवाओं में ही निहित है। ऐसे में अगर युवाओं का भारी संख्या में प्रवासन होता है तो इससे न केवल उस राष्ट्र की अक्षमता प्रदर्शित होती है, जो अपने नौजवानों को अपने ही देश में समुचित रोजगार नहीं दे पाती है अपितु युवाओं के ऐसे प्रवासन से देश के विकास का सशक्त आधार ही समाप्त हो जाता है। प्रवासन की इस समस्या को विश्व के कई राष्ट्राध्यक्ष अब गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि आर्थिक उदारीकरण और ग्लोबल विलेज़ के बाद प्रवासन अब प्रतिभा पलायन यानी ब्रेन ड्रेन नहीं रहा है और युवा भी अपनी क्षमता के आधार पर पैकेज के लिए देश से बाहर जाने में संकोच नहीं करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर इस प्रवासन पर विकासशील देश विमर्श तो करते हैं मगर इसमें स्वदेश वापसी नहीं ही संरक्षण का मुद्दा होता है ।  

खाद्य प्रणाली के परिवर्तन पर केन्द्रित होगी इस वर्ष की थीम

इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस की थीम रखी गईं  है- "ट्रांसफॉर्मिंग फूड सिस्टम: यूथ इनोवेशन फॉर ह्यूमन एंड प्लैनेटरी हेल्थ”। खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन के इस मुद्दे का उद्देश्य इस बात पर प्रकाश डालना है कि इस तरह के वैश्विक प्रयास की सफलता युवा लोगों की सार्थक भागीदारी के बिना हासिल नहीं की जा सकती है। इसके माध्यम से, हम स्वीकार करते हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी आहार व्यवस्था रुपांतरित हो उसके लिए एक ऐसा समावेशी समर्थन तंत्र बेहद आवश्यक है जिसमें युवा भाग लेते रहें और वैश्विक स्तर पर ऐसी व्यवस्था के लिए व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से प्रयत्न जारी रखें। यह भी मानता है कि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जैव विविधता को एकीकृत करना महत्वपूर्ण है। जनसंख्या बढ़ती रहती है, और अगले 30 वर्षों में इसके 2 अरब तक बढ़ने की संभावना है। यह माना जाता है कि केवल अधिक मात्रा में अधिक स्थायी रूप से भोजन का उत्पादन करने से मानवमात्र की भलाई सुनिश्चित नहीं होगी। गरीबी में ऊपर उठने, सामाजिक समावेशन, स्वास्थ्य देखभाल, जैव विविधता संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन शमन सहित अन्य महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं। युवा शिक्षा, प्रतिबद्धता, विकास और उद्यमशीलता के समाधान के माध्यम से, इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर युवाओं को इस क्षेत्र के नवाचार को उच्चस्तरीय खाद्य प्रणाली पर विमर्श के लिए होने वाले शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत करने का अवसर भी मिलेगा ।इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन और बच्चों और युवाओं के लिए प्रमुख समूह के सहयोग से डीईएसए द्वारा अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाएगा। वर्ष 2019 में बदलती शिक्षा , वर्ष  2018 मे युवाओं के लिए सुरक्षित स्थान , वर्ष 2017 में शांति की कायमी में युओं की भूमिका , वर्ष  2016 में वर्ष  2030 का लक्ष्य है गरीबी उन्मूलन और सतत उपभोग और उत्पादन का उच्चांक प्राप्त करना ,वर्ष 2015 की थीम थी युवा और मानसिक स्वास्थ्य। इस प्रकार हर वर्ष एक नये सन्दर्भ में युवाओं की भूमिका की पड़ताल होती  रहती है। 

इस दिन कुछ युवाओं को सम्मानित भी किया जाता है

अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का एक उद्देश्य सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्रों में सोद्देश्य भागीदारी और आविष्कार करने वाले युवा को सम्मानित करना भी है। वैश्विक परिवर्तन जहाँ अनेक उपलब्धियां सुविधाएं और चमत्कार लेकर आ रहे है वहीं युवा वर्ग के लिए तीव्र गति से भागने की क्षमता की चुनौती भी है, ताकि युवा वर्ग इतना क्षमतावान हो कि वह तेजी से हो रहे परिवर्तन को समझ सके, उसे अपना सके और नई खोज नई तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर अपनी कार्यशैली को परिवर्तित कर सके। आज के युवा वर्ग को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में शामिल होना आवश्यक हो गया है।यह प्रतिस्पर्धा एक और समाज को सुख शांति तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, और दूसरी तरफ चिंता, निराशा, व्यसन और बेलगाम उपद्रव की ओर आगे बढ़ा रही है, इसलिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को सकारात्मकता के के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। 

राजा दुबे

  


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