Thursday, September 23, 2010

हद है...

कल इंटरनेट पर सर्च करते करते मैं एक जॉब बेवसाइट तक पहुंच गई। उस वेब साइट पर पत्रकारिता ये जुड़ी हुई भी कई नौकरियों के विज्ञापन थे। मैं उन्हें पढ़ने लगी। पत्रकारिता के नाम पर अधिकतर नौकरियां कन्टेन्ट राइटिंग की ही थी। कुछ वेब साइट और कुछ पत्रिकाओं की। इन्हीं में एक विज्ञापन था जनवरी 2011 में शुरु होनेवाली एक मैगज़ीन का। मैगज़ीन का नाम कुछ अलग था नीचे पढ़ने पर मालूम हुआ कि ये मैगज़ीन एक लाइफ स्टाइल मैगज़ीन है लेकिन, इंसानों की लाइफ को स्टाइल में जीना सिखाने के लिए नहीं बल्कि कुत्तों को सिखाने के लिए है। मुझे पहले तो खूब हंसी आई लेकिन, फिर बाद में और खोजने और कुछ लोगों से बात करने पर मालूम चलाकि विदेशों में इस तरह की कई मैगज़ीन प्रकाशित होती है। भारत के लिए ये नई बात हो सकती है। मुझे सच में बहुत आश्चर्य हुआ। कुत्तों के लिए पागल और उनसे हद से ज़्यादा प्यार करनेवाले बहुत देखें है लेकिन, क्या वो लोग ऐसी मैगज़ीन भी खरीदेंगे...
मुझे तो याद है कि जब बचपन में मैंने और भैया ने पापा से कुत्ते पालने की बात कही तो उनका जवाब था कि आप दोनों हमसे पल जाओ वही बहुत है। वैसे, मेरे आसपास ऐसे कई हैं जिन्हें कुत्ते को कुत्ता कहने पर एतराज़ हैं। वो कहते है कि डॉगी बोलो इन्हें। और भी है जोकि फेसबुक पर अपने चेहरे की जगह अपने प्यारे डॉगी की तस्वीर चिपकाते हैं। खैर, हमारे देश में समस्याएं बहुत हैं लेकिन, सनकी भी बहुत हैं। यहां इंसान को कैसे जीना चाहिए, क्या खाना चाहिए और वो कितना पौष्टिक होना चाहिए इस पर बात तो होती ही रहती हैं लेकिन, अब जनवरी 2011 से हम पढ़ेंगे और सोचेगे कि आखिर हमारे गली के कुत्तों को क्या खाना चाहिए और कब भौंकना चाहिए...

1 comment:

Shankar said...

Hello Dipti,

Its not new concept for people Metros. There are several pet boutiques in Delhi. The charges of a complete dog or cat makeover is far more than complete makeover of women.

I'm into website development and developed these two websites for www.doggiecoutureshop.com
www.poshpuppyboutique.com which are much more than just a dog magazaine.

सब रईसों के चोंचले हैं, और कुछ नहीं