Thursday, September 17, 2020

विद्वता के बावजूद सहज रहना कपिलाजी की सबसे बड़ी खूबी थी - राजा दुबे

विलक्षण और बहुआयामी प्रतिभा की धनी कपिला वात्स्यायन अपनी  प्रकाण्ड विद्वता के बावजूद अत्यंत हज और आभामण्डल के कथित प्रदर्शन से निस्पृह रहतीं थीं. विद्वता के बावजूद सहज रहना उनकी सबसे बड़ी खूबी थी. भारत भवन, भोपाल और अखिल भारतीय कालिदास समारोह, उज्जैन के कई कार्यक्रमों में जब विषय की दुरुहता से श्रोता असहजता का अनुभव करते तो वे कुछ ऐसे प्रसंग जिसमें हास्य का पुट हो उससे व्याख्यान की दुरुहता को सहज श्रव्य बना देतीं थीं. कई बार आमने-सामने की चर्चा के सत्र में कुछ प्रश्नकर्ता उनकी विद्वता से असहज होकर घबराहट महसूस करते तो कपिलाजी बिना झुंझलाहट के उस प्रश्नकर्ता की घबराहट दूर करने में ऐसे वाक्यों के साथ मदद करतीं थीं कि - "तो आप यह जानना चाहते हैं" या "आपका मतलब यह है" कहकर उसका मनोबल बढ़ातीं थीं. अपनी इस प्रवृत्ति के बारे में उनका यह कथन भी गौरतलब है. वे कहतीं थीं- "आपका ज्ञान तो सर्वथा ज्ञेय है उसे आभामंडल से अज्ञेय क्यों बनाना?" इसके बाद एक स्मित मुस्कान उनके चेहरे पर होती थी.

महान विदुषी और विलक्षण प्रतिभा की धनी कपिला
वात्स्यायन का अवसान कला, साहित्य और संस्कृति क्षेत्र की एक बड़ी क्षति है .प्रख्यात संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने उन्हें स्मरण करते हुए बड़ी सटीक टिप्पणी की है कि बहुआयामी प्रतिभा की धनी कपिलाजी ने एक साथ समान अधिकार के साथ  सहित्य, कला और संस्कृति के संवर्धन तथा विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किया.वह अपने आप में एक संस्था थीं और कला से जुड़ी कई संस्थाओं का उन्होंने निर्माण किया तथा कलाकारों के बीच संवाद कायम करने में उन्होंने एक सेतु का काम किया.

उनका काम ही उनकी पहचान थी और वे हिंदी के यशस्वी दिवंगत साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' की पत्नी होने के बावजूद अपनी एक अलहदा पहचान कायम करने में सफल रहीं थीं. संगीत नृत्य और कला की महान विदुषी कपिला वात्स्यायन की शिक्षा दीक्षा दिल्ली  बनारस हिंदू विश्वविद्यालय औरअमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में हुई . आपका जन्म 25 दिसम्बर 1928 को में हुआ था,आप राष्ट्रीय आन्दोलन की प्रसिद्ध लेखिका
सत्यवती मलिक की पुत्री थीं.

संगीत नाटक अकादमी फेलो रह चुकीं कपिलाजी   प्रख्यात नर्तक शम्भू महाराज और प्रख्यात इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की शिष्या रहीं. वर्ष  2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्य नियुक्त की गई थीं और लाभ के पद के विवाद के कारण उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी थी मगर उसके बाद वह  फिर एक बार राज्यसभा की सदस्य मनोनीत की गई थीं.श्रीमती वात्स्यायन राष्ट्रीय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सचिव थी और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी. उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र और भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर और विद्वतापूर्ण पुस्तकें  लिखी.वह देश में भारतीय कलाशास्त्र की आधिकारिक विद्वान मानी जाती थीं.कपिला के भाई केशव मलिक जाने-माने अंग्रेजी के कवि और कला समीक्षक थे .श्रीमती वात्स्यायन साठ के दशक में शिक्षा विभाग में सचिव पद पर भी कार्यरत थीं.

दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र डॉ. कपिला वात्स्यायन ने अपना करियर शिक्षण व्यवसाय से शुरू किया, लेकिन उनके व्यापक ज्ञान और अनुभव को देखते हुए उन्हें शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय में ले लिया गया .जिस समय शिक्षा की सुविधाएं प्रारंभिक स्तर पर थीं, उस समय डॉ. वात्स्यायन ने शिक्षा सुविधाओं के विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. वात्स्यायन को डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. केएल श्रीमाली, प्रो. वीकेआरवी राव, डॉ. सी. डी. देशमुख, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डॉ. कर्ण सिंह और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी जैसी महान् हस्तियों के साथ काम करने का मौका मिला.

भारतीय शास्त्रीय नृत्य, वास्तुकला, इतिहास और कला की प्रख्यात विदुषी कपिला वात्स्यायन का दिल्ली स्थित उनके आवास पर बुधवार को निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं.उन्होंने भारतीय नृत्य कला के मूर्त और अमूर्त को जोड़ने की कोशिश की. उन्होंने नृत्य की विभिन्न मुद्राओं का ज्यामितीय और गणितीय अध्ययन किया और कई लेख लिखे, जिन्हें कला जगत की धरोहर समझा जाता है। उन्होंने कला पर 20 किताबें लिखीं, जिनमें कुछ हैं, द स्क्वैयर एंड द सर्कल ऑफ़ इंडियन आर्ट्स, भारत : द नाट्य शास्त्र, डान्स इन इंडियन पेंटिग, क्लासिकल इंडियन डान्स इन लिट्रेचर एंड आर्ट्स और ट्रांसमिशन्स एंड ट्रांसफ़ॉर्मेशन्स लर्निंग थ्रू द आर्ट्स इन एशिया. उन्होंने जयदेव की कविताओं पर पी एचडी की थी और गीत गोविंद पर शोध किया था.

राजा दुबे

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